जयपुर

रामगढ़ बांध पर 20 हजार पक्षियों का गूंजता था कलरव, सूखने से 170 किलोमीटर दूर तक प्रकृति हुई बर्बाद

जयपुर में रामगढ़ बांध के सूखने की त्रासदी का प्रभाव केवल जयपुर जिले तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यहां से लगभग 170 किलोमीटर दूर भरतपुर जिले में भी इसका गहरा असर देखने को मिला था। बांध के आसपास की जमीन से नमी पूरी तरह खत्म हो गई, जिससे वह बंजर हो गई और घास-चारा खत्म […]

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Jun 03, 2025
जयपुर के रामगढ़ बांध का फिर लौटेगा वैभव, पत्रिका फोटो

जयपुर में रामगढ़ बांध के सूखने की त्रासदी का प्रभाव केवल जयपुर जिले तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यहां से लगभग 170 किलोमीटर दूर भरतपुर जिले में भी इसका गहरा असर देखने को मिला था। बांध के आसपास की जमीन से नमी पूरी तरह खत्म हो गई, जिससे वह बंजर हो गई और घास-चारा खत्म होने के कारण मवेशी भी कम हो गए। इससे उस वक्त स्थानीय स्तर पर रोजगार खत्म हो गए थे। बांध के सूखने से बाणगंगा नदी सूख गई। इससे भरतपुर के अजान बांध के सूखने से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में जल संकट गहरा गया।

देसी और विदेशी परिंदों का पलायन

जल स्तर में गिरावट के कारण वहां रहने वाले देसी और विदेशी पक्षियों के जीवन पर संकट पैदा गया था। पर्यावरण विशेषज्ञ हर्षवर्धन ने बताया कि रामगढ़ बांध के भरे होने के समय जयपुर से लेकर भरतपुर तक की पारिस्थितिकी व्यवस्था काफी संतुलित और जीवंत थी। जब बांध भरा रहता था, तब यहां 20 हजार से अधिक प्रवासी और अप्रवासी पक्षी आते थे, जिनकी आवाजाही से पूरा क्षेत्र कलरव से गूंज उठता था। परंतु बांध के सूख जाने के बाद जमीन की नमी खत्म हो गई और पक्षियों के मुख्य आहार कीड़े-मकौड़े भी पूरी तरह समाप्त हो गए, जिससे पक्षी पलायन कर गए।

भूजल स्तर 700 फीट तक पहुंचा

बाणगंगा सूखने से भरतपुर का अजान बांध भी सूख गया। अजान बांध से निकलने वाला पानी केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान तक पहुंचता था और उसी पानी से पार्क की पारिस्थितिकी जिंदा थी। बांध भरे रहने पर आसपास के 40 से 50 किलोमीटर के क्षेत्र में जल स्तर ऊंचा था। बीते 40 वर्ष में भूजल स्तर गिरकर 500 से 700 फीट तक पहुंच गया है। इस वजह से कृषि की जगह अब होटल, रिसॉर्ट और अन्य निर्माण कार्य बढ़ने लगे हैं। इस कारण क्षेत्र में सालाना करोड़ों रुपए का आर्थिक नुकसान हो रहा है।

जनप्रतिनिधि, अफसरों ने किया दौरा

रामगढ़ बांध भराव क्षेत्र में श्रमदान स्थल का सोमवार को विधायक महेन्द्रपाल मीना व अतिरिक्त मुख्य अभियंता ने निरीक्षण किया। विधायक ने श्रमदान स्थल की सफाई के निर्देश दिए। कंटीले विलायती बबूल को हटाया जाएगा। पूर्व विधायक आलोक बेनीवाल ने रविवार को शाहपुरा, देवन, काट, माधो का बास, मनोहरपुर आदि गांवों में लोगों से चर्चा की ओर अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर श्रमदान करने का आह्वान किया। पूर्व विधायक ने कहा कि बांध में पानी लाने के लिए पत्रिका अमृतं जलम् अभियान के तहत सार्थक प्रयास कर रहा है, इसमें आमजन को भी पूर्ण सहयोग करना चाहिए।

Published on:
03 Jun 2025 08:51 am
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