जयपुर

एआई का आया दौर, सरकारी स्कूलों के बच्चों को कैसे मिलेगी ‘ठोर’

— सुविधाओं व संसाधनों का अभाव, कहीं पिछड़ ना जाएं नौनिहाल सभी बच्‍चों को मौलिक अधिकार के रूप में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार मिला हुआ है और इसकी अनुपालना में सरकार शिक्षा पर करोड़ों रुपए खर्च भी कर रही है, लेकिन अभी भी शहरी इलाकों को छोड़कर ग्रामीण इलाकों में सरकारी विद्यालय बदहाली […]

2 min read
Jan 27, 2025

— सुविधाओं व संसाधनों का अभाव, कहीं पिछड़ ना जाएं नौनिहाल

सभी बच्‍चों को मौलिक अधिकार के रूप में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार मिला हुआ है और इसकी अनुपालना में सरकार शिक्षा पर करोड़ों रुपए खर्च भी कर रही है, लेकिन अभी भी शहरी इलाकों को छोड़कर ग्रामीण इलाकों में सरकारी विद्यालय बदहाली के आंसू बहा रहे हैं। कहीं भवन नहीं हैं तो कहीं शिक्षकों के पद रिक्त हैं। बहुत से सरकारी विद्यालय ऐसे हैं जहां बच्चे या तो खुले में पेड़ों के नीचे बैठकर पढ़ रहे हैं या किसी जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर हैं। बारिश के समय कई स्कूलों में बच्चों की छुट्टी तक करनी पड़ जाती है। आज भी ऐसी स्थिति चौंकाने वाली है। जिसके परिणामस्वरूप सरकारी स्कूलों में नामांकन ​में लगातार गिरावट आती जा रही है।

वहीं सरकारी स्कूलों में सुविधाओं के नाम पर भी कुछ खास नहीं है। ​जबकि आज भी देखा जाए तो सरकारी नौकरियों में अधिकांश ग्रामीण विद्यार्थियों का कब्जा रहता है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि निचले स्तर पर जाकर सरकारी स्कूलों में ग्राउंड रियलिटी चैक की जाए, जिससे जरूरतमंद, मेधावी विद्यार्थियों को फायदा मिले और छिपी हुई प्रतिभाएं आगे आएं। अब सरकार को यह भी आकलन करना होगा कि शहरी व ग्रामीण स्कूलों में किस तरह की असमानताएं हैं, जिन्हें दूर कर सभी बच्चों को समान रूप से आगे लाया जा सके। शिक्षा विकास का मूल है, इसी अवधारणा को ध्यान में रखते हुए सभी विद्यालयों में बच्चों को सुविधाएं व संसाधन उपलब्ध कराए जाएं जिससे वे अपने लक्ष्य तक पहुंचें।

विद्यालयों में शिक्षा का आवश्यक बुनियादी ढांचा डगमगा रहा है। कक्षाएं, प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय, शौचालय, कंप्यूटर, इंटरनेट और ऑनलाइन शिक्षा संसाधन जैसी सुविधाएं भी अब समय के साथ आवश्यक हो गई हैं। अब ​सब आधुनिक होता जा रहा है और इसमें​ शिक्षा सबसे अहम है। सरकार को इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के दौर में स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई के लिए ऐसा माहौल देना होगा जो उन्हें आगे जाकर आधुनिक दौड़ में खड़ा रख सके। कहीं विषय अध्यापक नहीं हैं, तो कहीं जरूरत के अनुसार संकाय तक नहीं खुले हुए। ऐसी छोटी छोटी जरूरतों को तत्काल पूरा किया जाना चाहिए। जिससे बच्चों को राहत मिल सके।

Published on:
27 Jan 2025 06:47 pm
Also Read
View All

अगली खबर