जयपुर

पत्रिका हैरिटेज विंडो: महाराष्ट्र में भी है आमेर नरेश मानसिंह प्रथम की छतरी, अंतिम समय तक जीते थे 77 युद्ध

आमेर नरेश मानसिंह प्रथम: करीब 77 युद्धों में बहादुरी दिखा सर्वदा विजयी रहे आमेर के तत्कालीन नरेश मान सिंह प्रथम की समाधि (छतरी) महाराष्ट्र के एलिचपुर में है। दूसरी समाधि आमेर की छतरियों में है।

less than 1 minute read
Jul 06, 2025
आमेर महल व इनसेट में मानसिंह प्रथम। फोटो: पत्रिका

जितेन्द्र सिंह शेखावत
करीब 77 युद्धों में बहादुरी दिखा सर्वदा विजयी रहे आमेर के तत्कालीन नरेश मान सिंह प्रथम की समाधि (छतरी) महाराष्ट्र के एलिचपुर में है। दूसरी समाधि आमेर की छतरियों में है। काबुल सहित पूरे हिन्दुस्तान में तलवार चला विजय पताका फहराने वाले महाराजा मान सिंह साठ साल तक जीवित रहे।

उन्होंने अंतिम समय तक 77 युद्ध जीते थे। उन्होंने इस्लाम की तलवार को हाथ में रख जहां भी जीत हासिल की वहां पर हिन्दू मंदिरों का निर्माण कराने के साथ तीर्थ स्थलों का भी विकास कराया। मान सिंह की मृत्यु 6 जुलाई 1614 को महाराष्ट्र के एलिचपुर में हुई। उनकी वहां बनी समाधि के ऊपर शिव मंदिर है।

ये भी पढ़ें

Rajasthan: अशोक गहलोत के दामाद बने बॉम्बे हाईकोर्ट के जज, जानें कौन हैं गौतम अश्विनी अनखड़?

मान सिंह के साथ सहवरण करने वाली उनकी दो रानियों की छतरियां भी मंदिर की तर्ज पर बनी हैं। जयपुर के अंतिम शासक मानसिंह द्वितीय ने सन 1935 में इन छतरियों का जीर्णोद्धार करवाया था। जयपुर में विराजे गोविंद देव जी का वृंदावन में मंदिर, हरिद्वार में हर की पौड़ी पर घाट और गंगा मंदिर मान सिंह प्रथम ने ही बनवाए थे।

काबुल के मुगल तोप कारखाने जैसा तोप कारखाना जयगढ़ में बनवाया। आमेर नरेश भगवंत दास के आठ पुत्रों में ज्येष्ठ पुत्र मानसिंह का जन्म 21 दिसंबर 1550 को आमेर के महलों में हुआ। मान सिंह की पटरानी कनकावती पंवार ने पुत्र जगत सिंह की याद में आमेर का जगत शिरोमणि मंदिर बनवाया था।

ये भी पढ़ें

राजस्थान में इसी साल होंगे निकाय चुनाव, 91 बोर्ड को भंग किए बिना सरकार कराएगी चुनाव

Also Read
View All

अगली खबर