महिलाओं में बांझपन, गर्भपात, प्रीक्लेम्पसिया (गर्भकालीन उच्च रक्तचाप), एनीमिया, शिशु का कम वजन और विकास में रुकावट जैसी जटिलताएं देखी जाती हैं।
दुनियाभर में आज वर्ल्ड थायराइड डे मनाया जा रहा है। महिलाओं में थायराइड की समस्या सबसे ज्यादा सामने आ रहीं है। चौकानें वाली बात यह सामने आई है कि यह बीमारी मां बनने की राह में भी अब बाधा बन रहीं है। राजस्थान में करीब 16 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में थायरॉयड की समस्या है।
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राजस्थान में 15.97 प्रतिशत महिलाएं थायरॉयड विकार से ग्रसित मिली है। इनमें से 1.28 प्रतिशत को हाइपोथायरॉयडिज्म, 4.79 प्रतिशत को सबक्लिनिकल हाइपोथायरॉयडिज्म, 4.47 प्रतिशत को पृथक हाइपोथायरोक्सिनेमिया, 1.92 को स्पष्ट हाइपरथायरॉयडिज्म और 3.51 प्रतिशत में सबक्लिनिकल हाइपरथायरॉयडिज्म से ग्रसित है।
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हाइपोथायरॉयडिज्म (थायराइड की कमी) के कारण महिलाओं में बांझपन, गर्भपात, प्रीक्लेम्पसिया (गर्भकालीन उच्च रक्तचाप), एनीमिया, शिशु का कम वजन और विकास में रुकावट जैसी जटिलताएं देखी जाती हैं। जीवन रेखा हॉस्पिटल के सीनियर एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. पीपी पाटीदार ने बताया कि हर गर्भवती महिला को पहले तिमाही में अनिवार्य रूप से टीएसएच टेस्ट करवाना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान थायराइड की स्थिति बदलती रहती है, इसलिए समय-समय पर जांच कर इलाज को समायोजित करना आवश्यक होता है।
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थायराइड से ये हो सकती हैं समस्याएं..
हाइपरथायरॉयडिज्म (थायराइड अधिकता) से हाई ब्लड प्रेशर, समय से पहले प्रसव और शिशु में हृदय संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। थकान, वजन बढ़ना, अवसाद, अनियमित माहवारी या बांझपन जैसे लक्षणों को हल्के में न लें। यह शरीर का मौन संकेत है कि थायराइड असंतुलन हो सकता है।
थायराइड पीड़ित गर्भवती महिलाएं करे ये काम…