भीषण गर्मी में ऑर्डर तो खूब आ रहे हैं, लेकिन आराम करने के लिए कोई जगह नहीं है। सुबह सात बजे से ऑर्डर मिलने शुरू हो जाते हैं और चाहें तो रात 11 बजे तक लगातार ऑर्डर मिलते रहते हैं।
भीषण गर्मी में ऑर्डर तो खूब आ रहे हैं, लेकिन आराम करने के लिए कोई जगह नहीं है। सुबह सात बजे से ऑर्डर मिलने शुरू हो जाते हैं और चाहें तो रात 11 बजे तक लगातार ऑर्डर मिलते रहते हैं। 15 से 17 घंटे काम करने के दौरान सुस्ताने का समय नहीं मिलता। यह हाल है उन गिग वर्कर्स का, जो लोगों को हर जरूरी सामान घर तक पहुंचा रहे हैं। इनकी परेशानियों की किसी को फिक्र नहीं है। यही वजह है कि जब आराम करना होता है तो ये लोग अपनी बाइक पेड़ की छांव के नीचे लगाकर उसकी सीट को ही विश्राम का आसरा बना लेते हैं। राजधानी में करीब तीन लाख गिग वर्कर्स हैं और यह संख्या हर माह बढ़ रही है।
राजधानी जयपुर में क्विक सर्विस तेजी से बढ़ रही है। सामान बुक करने के 10 से 15 मिनट में घर पहुंच जाता है। इस सेवा में बड़ी संख्या में गिग वर्कर्स जुड़ रहे हैं, क्योंकि इसमें आकर्षक स्कीम्स मिलती हैं। हालांकि, क्विक सर्विस स्टोर्स पर इन वर्कर्स के लिए कोई सुविधा नहीं है। दोपहर में आराम करने तक का समय नहीं मिल पाता।
- डिलीवरी, कैब सर्विस, क्विक सर्विस
गांधी पथ वेस्ट पर एक क्विक सर्विस कंपनी में काम करने वाले संजय जांगिड़ बताते हैं कि दिनभर सडक़ों पर दौडऩा पड़ता है। गर्मी में प्यास लगती है, लेकिन सडक़ किनारे लगे वाटर कूलर के भरोसे रहना पड़ता है। कई बार पानी की बोतल भी खरीदनी पड़ती है।
फूड डिलीवरी से जुड़े विक्रम चौधरी ने बताया कि ऑर्डर देने के बाद आराम करने के लिए कोई जगह नहीं होती। ऐसे में पेड़ की छांव ही सहारा बनती है।
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कई शहरों में हैं रेस्ट एरिया
- ग्रेटर चेन्नई नगर निगम ने एसी युक्त रेस्ट एरिया बनाए हैं। कुछ इलाकों में काम पूरा हो गया है और कुछ में निर्माण चल रहा है। यहां वर्कर्स के लिए बैठने, पानी पीने, मोबाइल चार्ज करने और शौचालय जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
- गुरुग्राम में एक फूड डिलीवरी कंपनी ने प्रोजेक्ट के तहत दो रेस्ट पॉइंट बनाए हैं, जहां गिग वर्कर्स को साफ पानी, हाई स्पीड इंटरनेट और फस्र्ट एड जैसी सुविधाएं मिलती हैं।
- इसी तरह बेंगलूरु सहित देश के कई शहरों में गिग वर्कर्स के लिए रेस्ट एरिया बनाए गए हैं, जिनकी लोकेशन मोबाइल पर भी उपलब्ध होती है।
जयपुर में गिग वर्कर्स की संख्या लगातार बढ़ रही है। ये लोग हर समय जनता की सेवा में तत्पर रहते हैं, लेकिन इनकी सुविधाओं पर किसी का ध्यान नहीं है। सरकार ने बजट में व्यवस्था करने की घोषणा तो की, लेकिन अमल अब तक शुरू नहीं हुआ है। स्थानीय निकायों को चाहिए कि वे कंपनियों के साथ मिलकर रेस्ट रूम स्थापित करें, ताकि गिग वर्कर्स कुछ समय आराम कर सकें।
- आशीष सिंह, अध्यक्ष, राजस्थान गिग एंड ऐप बेस्ड वर्कर्स यूनियन