Tiger Rescue Operation: वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बाघ के पास रेडियो कॉलर नहीं होने के कारण उसकी सटीक लोकेशन का पता लगाना मुश्किल हो रहा है।
जयपुर: दौसा जिले के महुखेड़ा गांव में बाघ के हमले से फैली दहशत ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। यह वही बाघ है, जिसने बीते बुधवार सुबह तीन लोगों पर हमला किया था। वन विभाग की टीम ने नौ घंटे का लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया, लेकिन बाघ को पकड़ने में असफल रही। अब टीम पगमार्क के आधार पर बाघ का पीछा कर रही है।
वन विभाग ने जानकारी दी कि यह बाघ 22 महीने का है और इसे एसटी 2402 कोड से पहचाना गया है। बाघ ने बिवाई दुब्बी के रास्ते दौसा जिले से अलवर जिले में प्रवेश कर लिया है। फोरेस्टर महेंद्र गुर्जर और उनकी टीम ने पगमार्क के जरिए पता लगाया कि बाघ महुखेड़ा से होते हुए किरिरिया सिमला और पीपलखेड़ा गांव के रास्ते अलवर की ओर बढ़ रहा है।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बाघ के पास रेडियो कॉलर नहीं होने के कारण उसकी सटीक लोकेशन का पता लगाना मुश्किल हो रहा है। रेडियो कॉलर की मदद से बाघ की गतिविधियों पर नजर रखना और उसे ट्रैक करना आसान होता। इस कमी के बावजूद, विभाग की टीमें हरसंभव प्रयास कर रही हैं। ग्रामीणों को सतर्क रहने और बाघ से दूरी बनाए रखने की सलाह दी गई है।
बाघ के हमले से घायल हुए तीनों व्यक्तियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। घटना के बाद से महुखेड़ा और आसपास के गांवों में डर का माहौल है। वन विभाग की टीम ने ग्रामीणों को सतर्क रहने और बच्चों व मवेशियों को घरों के पास ही रखने की अपील की है।
वन विभाग के प्रयासों में स्थानीय लोगों की मदद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। महुखेड़ा गांव के पास बाघ की मौजूदगी को देखते हुए लोगों को किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना देने को कहा गया है। साथ ही, वन विभाग ने अपने बचाव उपकरण और संसाधनों को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाने का आश्वासन दिया है।
वन विभाग के अधिकारी और सिविल डिफेंस की टीम बाघ की हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं। पगमार्क के आधार पर टीम ने बाघ की संभावित दिशा का पता लगाया है और अलवर जिले में उसके प्रवेश की पुष्टि की है। उम्मीद है कि जल्द ही बाघ को सुरक्षित तरीके से पकड़ा जा सकेगा।