प्रतिस्पर्धा आमतौर पर मनुष्यों के बीच देखी जाती है, लेकिन जब बात देवताओं की हो, यह सुनकर अद्धभुत लगता है।
प्रतिस्पर्धा आमतौर पर मनुष्यों के बीच देखी जाती है, लेकिन जब बात देवताओं की हो, यह सुनकर अद्धभुत लगता है। जैसलमेर की व्यास बगेची में स्थित प्राचीन गणेश मंदिर इस अद्भुत परंपरा का साक्षी है। यहां दो गणेश प्रतिमाएं आमने-सामने विराजमान हैं, जिन्हें च्प्रतिस्पर्धी गणेशज् के नाम से जाना जाता है।
एक गणेश की सूंड दाहिनी ओर है, तो दूसरी की बांयी ओर। दोनों अलग-अलग निज मंदिर में स्थापित हैं और भक्तों की आस्था का केन्द्र बने हुए हैं। श्रद्धालु मानते हैं कि यहां मनोकामनाएं विशेष तीव्रता से पूर्ण होती हैं, क्योंकि दोनों गणेश उनकी इच्छाओं को पूरा करने में प्रतिस्पर्धा करते हैं।
करीब 150 वर्ष पूर्व स्थापित यह मंदिर आज जैसलमेर की धार्मिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। यहां रोजाना सैकड़ों भक्त पहुंचकर दोनों गणेशों के सम्मुख खड़े होकर यह अनुभव करते हैं कि उनकी मनोकामना किसकी कृपा से पहले पूरी होगी।
मंदिर की इस विशेषता ने इसे अद्वितीय आस्था स्थल बना दिया है। भक्त दूर-दराज से यहां अपनी इच्छाओं के साथ आते हैं और यह विश्वास लेकर लौटते हैं कि गणेशों की प्रतिस्पर्धा उनके अरमानों को शीघ्र फलित करेगी।
स्थानीय श्रद्धालु संतोष व्यास बताते हैं कि यह गणेश मंदिर केवल पूजा का स्थल नहीं, बल्कि भक्ति, विश्वास और प्रेरणा का जीवंत प्रतीक है। यहां की दिव्यता हर श्रद्धालु को अपने इष्ट देव के और निकट ले जाती है और उनके हृदय में आस्था का अमिट स्थान बना देती है।