सरहद से सटे व शांत और सुकून भरे क्षेत्र के रूप में पहचाने जाने वाले जैसलमेर में विगत समय में स्थितियां तेजी से बदली हैं।
पर्यटन नगरी के रूप में विश्वस्तरीय पहचान बना चुकी स्वर्णनगरी में बाहरी लोगों के सत्यापन को लेकर सुस्ती सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही है। सरहद से सटे व शांत और सुकून भरे क्षेत्र के रूप में पहचाने जाने वाले जैसलमेर में विगत समय में स्थितियां तेजी से बदली हैं। चोरी की वारदातें बढ़ी तो प्रतिबंधित क्षेत्रों में संदिग्ध व्यक्तियों के पकड़े जाने के मामले भी सामने आए। जानकारों का मानना है कि बाहरी लोगों के पास मौजूद दस्तावेजों की पुख्ता जांच किए बिना स्थिति सुधरना मुश्किल है। विगत वर्षों में दुपहिया वाहन चोरी, सेंधमारी जैसे अपराधों में वृद्धि दर्ज की गई है और इनमें बाहरी लोगों की संलिप्तता पर लगातार संदेह जताया जाता रहा है।
शहर के गड़ीसर चौराहा, रेलवे स्टेशन मार्ग, शहरी उद्यान, हनुमान चौराहा सहित सार्वजनिक स्थलों पर अनजान चेहरों की मौजूदगी सामान्य दृश्य बन चुका है। निर्माण कार्य और ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी करने आए लोगों में कितनों के पास वैध पहचान दस्तावेज हैं, यह किसी विभाग को स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं।
-38 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है सरहदी जिला
जिले के विस्तृत अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल तत्व सक्रिय रहते हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ भारत से वहां जाने वाले व्यक्तियों पर लगातार नजर रखती है और उन्हें बरगलाकर, लालच देकर या भय दिखाकर गलत गतिविधियों में धकेलने के प्रयास करती है। ऐसे में बाहरी लोगों की पहचान और सत्यापन और भी आवश्यक हो जाता है।
जैसलमेर जैसे संवेदनशील सीमा जिले में बाहरी लोगों का सत्यापन मजबूत किए बिना सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता बनाना संभव नहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि दस्तावेजों की कठोर जांच, एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल और नियमित निगरानी ही इस चुनौती को कम कर सकती है।