बाड़मेर पेयजल योजना से जुड़ी पाइपलाइन में वॉल्व खराब होने से मोहनगढ़ कस्बे में पेयजल आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हो गई है।
बाड़मेर पेयजल योजना से जुड़ी पाइपलाइन में वॉल्व खराब होने से मोहनगढ़ कस्बे में पेयजल आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हो गई है। बीस दिन से अधिक समय से वॉल्व की खराबी के चलते कस्बे के कई मोहल्लों में पानी नहीं पहुंच रहा है, जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।चौधरी चौराहे के पास स्थापित वॉल्व के जरिए कस्बे की जीएलआर टंकियों तक पानी पहुंचाया जाता है। वॉल्व की प्लेट फ्री होने से अब पानी की गति नहीं बढ़ रही। पहले जहां टंकियां 2 से 3 घंटे में भर जाती थीं, अब भरने में 6 से 7 घंटे लग रहे हैं। धीमी आपूर्ति के चलते कई इलाकों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। जानकारी के अनुसार स्थानीय कर्मचारी ने उच्च अधिकारियों को वॉल्व खराब होने की जानकारी दी थी, लेकिन समस्या का समाधान अब तक नहीं किया गया। विभागीय अधिकारी वॉल्व दुरुस्त कराने के बजाय एक-दूसरे पर दोष मढ़ते नजर आ रहे हैं। जलदाय विभाग की डिग्गियां, टंकियां, एसएलआर और पम्प कई वर्षों से बेकार पड़े हैं। बाड़मेर पेयजल योजना से जोड़ने के बाद विभाग ने स्थानीय स्तर पर पानी संग्रहण की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की। नतीजतन, पूरा कस्बा एक ही सप्लाई लाइन पर निर्भर है, जिसमें तकनीकी गड़बड़ी के चलते व्यापक जल संकट उत्पन्न हो गया है। पेयजल संकट के बीच जलदाय विभाग के सहायक अभियंता सवालों से बचते दिखे। विभाग ने कस्बेवासियों को क्लोजर के समय 3-4 दिन का पानी संग्रहित करने की सलाह दी है, लेकिन वॉल्व मरम्मत को लेकर कोई स्पष्ट योजना नहीं बनाई गई।वहीं, बाड़मेर पेयजल योजना के अधीक्षण अभियंता का कहना है कि मोहनगढ़ को प्रतिदिन 22 से 23 लाख लीटर पानी की आपूर्ति की जा रही है और फ्लो मीटर के माध्यम से रिकॉर्ड संधारित किया जा रहा है। उनके अनुसार, योजना की ओर से क्षमता से अधिक पानी भेजा जा रहा है। हालांकि, वॉल्व खराब होने और स्थानीय स्तर पर संग्रहण सुविधा के अभाव में आपूर्ति का लाभ आम लोगों तक नहीं पहुंच रहा। कस्बे में बढ़ती गर्मी के बीच पेयजल संकट ने स्थिति और गंभीर कर दी है।