पाक सीमा से सटे रेतीले जैसलमेर में अब साइकिल की घंटी न केवल सेहत का संदेश दे रही है, बल्कि पर्यावरण को भी संजीवनी दे रही है।
पाक सीमा से सटे रेतीले जैसलमेर में अब साइकिल की घंटी न केवल सेहत का संदेश दे रही है, बल्कि पर्यावरण को भी संजीवनी दे रही है। आधुनिक परिवहन साधनों के बीच यह दोपहिया साधन एक बार फिर लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन रहा है। खासतौर पर युवाओं में इसका रुझान कोरोना काल के बाद तेजी से बढ़ा है, जो अब पर्यावरणीय चेतना में बदलता नजर आ रहा है। पेट्रोल-डीजल के धुएं और वाहनों की बढ़ती भीड़ के बीच जैसलमेर की सडक़ों पर साइकिल की सादगी नई दिशा दे रही है। साइक्लिंग अब केवल एक फिटनेस रूटीन नहीं, बल्कि पर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी भी बन चुकी है। साइकिल चलाने से जहां युवाओं में दिल की बीमारियों, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और मोटापे जैसी समस्याएं कम हो रही हैं, वहीं यह वाहन शून्य प्रदूषण के कारण वातावरण को भी शुद्ध बनाए रखने में मददगार है।
रेतीले क्षेत्र में हवा की गति कम होने से साइक्लिंग के लिए आदर्श रास्ते बने हैं। जैसलमेर से आकल फांटा, लौद्रवा से चूंधी होते हुए छत्रैल, खाभा से सम और जोधपुर मार्ग से बासनपीर जैसे मार्ग पर्यावरण मित्र साइक्लिंग के लिए उपयुक्त हैं। यहां की शांत व खुली सडक़ें न केवल शौक को पंख देती हैं, बल्कि हर पेडल के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देती हैं।
रूञ्जक्च (माउंटेन बाइक) - पहाड़ी व कठिन रास्तों के लिए उपयुक्त।
हाइब्रिड साइकिल - सडक़ व कच्चे रास्तों के लिए अनुकूल।
रोड या सिटी बाइक - शहरी मार्गों के लिए आदर्श, उच्च गति व कम वजन वाली।
फिजियोथेरपिस्ट डॉ. हितेश चौधरी बताते हैं कि रोजाना 30 मिनट तक साइकिल चलाने से 300 कैलोरी बर्न होती है। साइक्लिंग न केवल पैरों की मसल्स मजबूत करती है, बल्कि जोड़ों के दर्द से राहत देने के साथ-साथ फेफड़ों की क्षमता भी बढ़ाती है। इसके अलावा यह तनाव को कम कर मानसिक स्वास्थ्य में भी सहायक है
जैसलमेर के युवा अब साइकिल से मंजिल ही नहीं, बल्कि हर दिन शुद्ध हवा, फिट शरीर और हरियाली की ओर बढ़ रहे हैं। पर्यावरण को लेकर जागरुकता भी एक बड़ा कारण है।