अधिकारी बोले जल्द करेंगे कार्रवाई : अब संरक्षण के लिए समिति का गठन
झालावाड़ जिले का रियासतकालीन खंडिया तालाब अतिक्रमण की चपेट है। तालाब के किनारे चारों तरफ अतिक्रमण की बेल चल रही है। ऐसे में समय रहते ध्यान नहीं दिया गया और प्रशासन कागजी घोड़े ही दौड़ाता रहा तो एक दिन तालाब का अस्तित्व ही खतरे में होगा। तालाब के कुछ हिस्से में हल्दी घाटी को जोडऩे वाले रोड तक सीसी रोड बना दिया गया है। जिसकी लागत लाखों में है, लेकिन ये रोड बनाया किसने किसी को पता तक नहीं है। रही सही कसर आरयूआईडी ने पूरी कर दी। तालाब के निकट ही ट्रीटमेंट प्लांट बना दिया। जबकि ये कहीं दूर भी बनाया जा सकता था। खंडिया तालाब बरसों पुराना रियासत कालीन तालाब है जो इन दिनों तो लबालब हो जाता है, लेकिन चारों तरफ अवैध कॉलोनियां काटने से बारिश का पानी तालाब में नहीं आ पा रहा है। ऐसे में अभी तक तालाब पर चादर तक नहीं चल पाई है। इतना क्षेत्रफल है तालाब का- खंडिया तालाब 16.8811 हैक्टेयर यानी करीब 68 बीघा में फैला हुआ है। लेकिन दिनोंदिन तालाब सिकुड़ता जा रहा है। समय रहते प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो एक दिन इसका अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।
राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर के आदेशानुसार राजस्थान झील (संरक्षण व विकास प्राधिकरण अधिनियम) के संबंध में मंगलवार को जिला कलक्टर की अध्यक्षता में मिनी सचिवालय के सभागार में बैठक हुई।
बैठक में जिला कलक्टर ने कहा कि उच्च न्यायालय जोधपुर के निर्देश पर जिले में झील संरक्षण एवं विकास कार्य के लिए जिला स्तरीय झील संरक्षण एवं विकास समिति का गठन किया गया है। जिसका मुय उद्देश्य जिले की झीलों व तालाबों का सरंक्षण व विकास करना है। कलक्टर ने उपखण्ड अधिकारी संतोष कुमार मीणा को निर्देशित किया कि तालाबों के पेटे की जमीन का सर्वे एवं नाप करवाकर अतिक्रमण दस्ता व पुलिस जाप्ते के साथ अतिक्रमण हटाएं।
ये चार बड़ी वजह जिनसे तालाब को हो रहा नुकसान
सीसी रोड : खंडिया तालाब के पास एक ढाबे से लेकर आगे तक सीसी रोड बनाया गया है। जो लाखों रुपए की लागत से बना है। जिसका आगे का पूरा हिस्सा रोड तक पूरी तरह तालाब के हिस्से में बना हुआ है। रोड को किसने बनाया किसी को पता नहीं। जब इसके बारे में सार्वजनिक निर्माण विभाग व नगर परिषद के अधिकारियों से पूछा गया तो दोनों विभाग ने बनाने से मना कर दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर रोड किसने व क्यों बनाया।
ट्रीटमेंट प्लांट : खंडिया तालाब के निकट आरयूआईडीपी ने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगा दिया है। जब तालाब पूरा भरेगा तो ट्रीटमेंट प्लांट का गंदा पानी तालाब में जाएगा। इससे भी शुद्ध जल दूषित होगा। जलीय जीव व पर्यावरण को भी नुकसान होगा।
अवैध कॉलोनियां : खंडिया तालाब के निकट कृषि भूमि पर अवैध रूप से करीब 20 कॉलोनियां विकसित की जा रही है। जिनमें से कई का आगे का हिस्सा खंडिया तालाब में आ रहा है। इससे भी तालाब सिकुड़ता जा रहा है। जबकि कृषि भूमि पर कॉलोनी विकसित करना पूरी तरह से अवैध है।
व्यावसायिक उपयोग : खंडिया तालाब की भूमि का कुछ लोग व्यावसायिक उपयोग कर रहे हैं। निकट में एक होटल द्वारा किए गए अतिक्रमण को तत्कालीन उपखंड अधिकारी (आईएएस) मो.जुनैद ने खड़े रहकर अतिक्रमण हटवाया था, लेकिन फिर से उस जगह अतिक्रमण कर लिया गया है। ऐसे में तालाब काकुछ हिस्सा भी अतिक्रमण में आ रहा।
सुरक्षा दीवार जरूरी
रियासत कालीन खंडिया व अन्य तालाब शहर की धरोहर है। इनकी सुरक्षा की जिमेदारी हर शहरवासी के साथ शासन-प्रशासन की भी है। ऐसे में खंडिया तालाब करीब 68 बीघ से अधिक में फैला हुआ है। इसका सीमांकन करवाकर चारों तरफ सुरक्षा दीवार बनाकर पाथ वे विकसित कर घूमने लायक बनाया जाएं ताकि शहरवासी खुले में घूम सके। ये शहर का एक अच्छा वॉकिंग स्थल व मनोरम स्थल बन सके। और ये अतिक्रमण चपेट में आने से भी बच सके। और बारिश का पानी भी पर्याप्त मात्रा में आएगा तो तालाब भी भर जाएगा।
उपखंड अधिकारी संतोष मीणा से सीधी बात
खंडिया तालाब 68 बीघा में फैला हुआ है, चारों तरफ अतिक्रमण हो रहा, आप क्या प्रयास कर रहे
इसके लिए पूर्व में सर्वे करवा लिया गया है। अतिक्रमण चिन्हित कर लिए गए है। लोगों से सामंजस्य बिठाकर जल्द कार्रवाई करेंगे।
तालाब के कुछ हिस्से पर व्यावसायिक गतिविधियां संचालित हो रही कार्रवाई क्यों नहीं हो पा रही।
ऐसा नहीं है, वहां पहले भी अतिक्रमण हटाया था, फिर से नाप करवाकर नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।
करीब 20 अवैध कॉलोनियां खंडिया तालाब के किनारे विकसित की जा रही है, क्या कर रहे।
कॉलोनियां तालाब की जमीन पर नहीं है, हां ये कि अवैध है तो उसकी जांच करवाएंगे। 30 मीटर तक कोई निर्माण नहीं कर सकता है।
झील संरक्षण एवं विकास प्राधिकरण के तहत राजस्थान हाई कोर्ट ने तालाब व झीलों का संरक्षण करने के निर्देश दिए
हां इस संबंध में बैठक हो चुकी है, जल्द ही प्रस्ताव बनाकर भेजेंगे, ताकि तालाबों का व्यवस्थित विकास व सुरक्षा दीवार हो सके।