जयपुर के प्रसिद्ध खोले के हनुमानजी मंदिर के सामने फटे पुराने कपड़ों में कटोरा थामे बैठे इस शातिर अपराधी को पुलिस टीम ने दो दिन की रैकी के बाद पकड़ा। दीपक मालसरिया के पास फरारी के दौरान न पैसे बचे, न मददगार। नए आपराधिक कानूनों के डर से किसी ने सहायता नहीं की। मजबूरी में उसने जयपुर, दिल्ली और ऋषिकेश के मंदिरों के बाहर भिखारी बनकर रोटी और चिल्लर से गुजारा किया।
झुंझुनूं. डेनिश बावरिया हत्याकांड में फरार चल रहे 50 हजार रुपए के इनामी और हिस्ट्रीशीटर दीपक मालसरिया को आखिरकार कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपी पुलिस से बचने के लिए साधु–भिखारी का भेष बनाकर मंदिरों के बाहर भीख मांग रहा था। जयपुर के प्रसिद्ध खोले के हनुमानजी मंदिर के सामने फटे पुराने कपड़ों में कटोरा थामे बैठे इस शातिर अपराधी को पुलिस टीम ने दो दिन की रैकी के बाद पकड़ा। दीपक मालसरिया के पास फरारी के दौरान न पैसे बचे, न मददगार। नए आपराधिक कानूनों के डर से किसी ने सहायता नहीं की। मजबूरी में उसने जयपुर, दिल्ली और ऋषिकेश के मंदिरों के बाहर भिखारी बनकर रोटी और चिल्लर से गुजारा किया। पहचान छिपाने के लिए फटे कपड़े पहने और मंदिरों के आसपास ही डेरा जमाए रखा। गौरतलब है कि 20 अक्टूबर 2025 को दर्ज इस सनसनीखेज प्रकरण में डेनिश उर्फ नरेश कुमार ने बताया कि 19 अक्टूबर की रात वह अपने साथियों के साथ पटाखों का हिसाब कर स्कॉर्पियोगाड़ी से चुड़ेला गांव जा रहा था। चूरू बाइपास ठेके के पास तीन सफेद कैम्परगाड़ियों में आए आरोपियों ने पहले टक्कर मारी, फिर बंदूक की नोक पर गाड़ी से उतारकर बेरहमी से पीटा। लोहे की पाइपों और सरियों से हाथ-पैर, सिर और पैरों की नलियों पर वार किए गए। बाद में डेनिश को अगवा कर रसोडाजोहड़ में पटक दिया गया और मरा समझकर आरोपी फरार हो गए। हमले में गाड़ी में रखे 3 लाख रुपए, पटाखा, सोने की चैन और चांदी की अंगूठी भी लूट ली गई। गंभीर हालत में डेनिश को पहले खेतान अस्पताल और फिर एसएमएस अस्पताल जयपुर रेफर किया गया। जहां पर उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई।