विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार मौसम में बदलाव होने के कारण सर्दी-जुकाम के साधारण मरीज भी 10-15 दिन में ठीक हो रहे हैं। वहीं बहुत से मरीजों में लगातार एंटीबॉयोटिक्स लेने के कारण इसके दुष्प्रभाव भी देखे जा रहे हैं।
सुरेन्द्र डैला
.अक्सर सर्दी-जुकाम के मरीज तीन से पांच दिन में ठीक होते रहे हैं। मगर इस बार वायरल के नए स्ट्रेन ने मरीजों और चिकित्सकों की परेशानी को बढ़ा दिया है। हालात ऐसे हैं कि तीन से पांच दिन में ठीक होने वाली साधारण सर्दी-जुकाम 10-15 दिन बाद भी ठीक नहीं हो रही। बहुत से मरीज ऐसे भी मिल रहे हैं, जो कि 15 दिन बाद भी सूखी खांसी से परेशान हैं। पत्रिका ने विशेषज्ञों से नए स्ट्रेन को लेकर जानकारी जुटाई। दरअसल, दिसंबर में भी अधिकतम और न्यूनतम तापमान में बहुत ज्यादा अंतर, बढ़ते प्रदूषण के कारण वायरल के स्ट्रेन में बदलाव आया है। विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार मौसम में बदलाव होने के कारण सर्दी-जुकाम के साधारण मरीज भी 10-15 दिन में ठीक हो रहे हैं। वहीं बहुत से मरीजों में लगातार एंटीबॉयोटिक्स लेने के कारण इसके दुष्प्रभाव भी देखे जा रहे हैं। उधर, झुंझुनूं के बीडीके, चिड़ावा के राजकीय उप जिला अस्पताल, खेतड़ी के उप जिला अस्पताल और नवलगढ़ के जिला अस्पताल में एकाएक सर्दी-जुकाम के मरीजों की संख्या में बढ़ौतरी देखी जा रही है।
केस-01
झुंझुनूं के ग्रामीण क्षेत्र के मरीज सुरेश ने करीब दस दिन पहले वायरल होने पर डॉक्टर को दिखाया। जिसे सर्दी-जुकाम की दवा दी गई। चार-पांच दिन में भी ठीक नहीं होने पर मरीज को फिर से एंटीबॉयोटिक्स लेनी पड़ी।
केस-02
चिड़ावा के वार्ड 22 की सुशीला को सर्दी-जुकाम होने पर पांच दिन की दवा दी गई। मगर मरीज ठीक नहीं हुआ। करीब 13 दिन बाद भी मरीज सूखी खांसी से पीडि़त है। जो कि लगातार खांसी की दवा ले रही है।
केस-03
मलसीसर के पास के गांव के मनोज को कुछ दिन पहले सर्दी-जुकाम की शिकायत हुई। इसने डॉक्टर को दिखाया। करीब 10 दिन बाद भी खांसी की शिकायत हो रही है। मरीज का खांसी के साथ जी मचलाता है।
-मरीज को एक-दो दिन तेज बुखार।
-लगातार खांसी की शिकायत।
-दस दिन बाद भी सूखी खांसी आना।
-खांसी के साथ सिरदर्द, जी मचलाना।
-मरीज की पसलियों में दर्द।
-लगातार थकावट, भूख नहीं लगना।
-शाम के समय ज्यादा थकावट।
-गले में दर्द और बैचेनी।
-रूक-रूककर नाक बंद होना।
-कान में दर्द की शिकायत।
-सर्दी से बचाव के प्रयास करें।
-ठंडी और तली-भूनी चीजों का सेवन नहीं करें।
-गर्म पानी का सेवन और गर्म पानी से ही स्नान करें।
-भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क लगाएं।
-सर्दी-जुकाम के लक्षण दिखने पर डॉक्टर को दिखाएं।
-संतुलित आहार का सेवन करें।
-कम से कम आठ घंटे गहरी नींद लें।
-सर्दी-जुकाम से पीडि़त से दूरी बनाए रखें।
-गुनगुने पानी से नमक के गरारे करें।
-आंख, नाक और मुंह को गंदे हाथों से नहीं छूएं।
-नियमित रूप से साबुन से हाथ धोएं।
-दिन-रात के तापमान में भारी अंतर।
-रात को ज्यादा सर्दी और दिन में गर्मी बढऩा।
-प्रदूषण में बेतहाशा बढ़ौतरी।
-कोविड के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना।
-खान-पान और जीवनशैली में बदलाव।
दिनांक अधिकतम न्यूनतम
1 दिसंबर 24 27.5 10.7
2 दिसंबर 24 28.4 10.6
3 दिसंबर 24 28.6 10.5
4 दिसंबर 24 27.9 11.2
5 दिसंबर 24 27.3 8.3
6 दिसंबर 24 26.7 9.3
7 दिसंबर 24 26.6 6.3
बीमारी केस
स्वाइन फ्लू 18
डेंगू 262
मलेरिया 06
चिकनगुनियां 07
स्क्रबटाइफस 16
इनका कहना है-
खांसी-जुकाम के ऐसे बहुत ज्यादा मरीज आ रहे हैं, जो कि आठ-दस दिन बाद भी ठीक नहीं हो रहे। जिसकी वजह अधिकतम और न्यूनतम तापमान में भारी अंतर, प्रदूषण और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना है। सर्दी के मौसम में सावधानी बरतनी जरूरी है-डॉ.सुमनलता कटेवा, पीएमओ, राजकीय उप जिला अस्पताल, चिड़ावा
इनका कहना है-
बदलते मौसम के कारण साधारण सर्दी-जुकाम के मरीजों की संख्या में काफी बढ़ौतरी हो रही है। बहुत से ऐसे मरीज भी आ रहे हैं, जो कि लगातार दवाइयां लेने के बावजूद ठीक नहीं हो रहे-डॉ.मनोज जानू, सर्जन, राजकीय उप जिला अस्पताल, चिड़ावा
इनका कहना है-
सर्दी-जुकाम के बदलते रूप को देखते हुए गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सर्दी-जुकाम होने पर तत्काल चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए। सूखी खांसी के केस भी खूब बढ़ रहे हैं-डॉ.सतीश भगासरा, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, चिड़ावा