कटनी

सडक़ नहीं भ्रष्टाचार की मिसाल!: गुणवत्ता ऐसी की 6 माह भी नहीं टिक पाई 10 करोड़ की 9.2 किमी सडक़

पहली ही बारिश में पिपरौंध से निवार-देवरीहटाई पूरी सडक़ का डामर उखड़ा, जगह-जगह हुए जानलेवा गड्ढे, लोक निर्माण विभाग और ठेकेदार की गंभीर लापरवाही उजागर, खामियों को छिपाने अब ठेका कंपनी प्रगति इंडिया ने शुरू कराया पेंचवर्क, विभाग की निगरानी पर उठे सवाल

3 min read
Oct 11, 2025
corruption in road construction

कटनी. लोक निर्माण विभाग की घोर लापरवाही और ठेका कंपनी प्रगति इंडिया प्रालि के घटिया निर्माण ने जिले में सडक़ निर्माण के भ्रष्टाचार की एक नई मिसाल पेश की है! यह हम नहीं बल्कि लगभग 10 किलामीटर की बनी सडक़ खुद-ब-खुद बयां कर रही है। पिपरौंध से देवरीहटाई तक लोक निर्माण विभाग द्वारा 10 करोड़ रुपए की लागत से बनाई गई 9.2 किलोमीटर सडक़ अब मात्र छह माह में ही खस्ताहाल हो गई है। इसमें 3 किलोमीटर सीसी सडक़ और शेष डामर सडक़ शामिल है। मार्च माह में ठेकेदार प्रगति इंडिया प्रालि ने सडक़ पूरा कराकर हैंडओवर किया था, लेकिन अब सडक़ टूट गई है और डामर के हिस्सों के परखच्चे उड़ गए हैं। 10 करोड़ रुपए की लागत से बनी सडक़ की घटिया गुणवत्ता, विभागीय लापरवाही और ठेकेदार की मिलीभगत सार्वजनिक धन और जनता की सुरक्षा दोनों के लिए खतरा बन गई है। यह मामला जिले में सडक़ निर्माण की निगरानी, भ्रष्टाचार और जवाबदेही के मुद्दों को उजागर करता है।

घटिया निर्माण और सडक़ की वर्तमान स्थिति

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि डामर सडक़ पहले बनी और बाद में सीसी सडक़ का निर्माण कराया गया। हालांकि निर्माण के समय ही सडक़ घटिया लग रही थी, लेकिन अब डामर के हिस्से उखड़ गए हैं जो भ्रष्टाचार कर परतें उजागर कर रहे हैं। सडक़ की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीण अखिल पांडेय, रवि जग्गी, रामप्रसाद कुशवाहा, देवेंद्र दुबे, सल्लू मिश्रा, अंकुश दुबे, पलाश जग्गी, मोनू ठाकुर ने आरोप लगाया कि लोक निर्माण विभाग के अधिकारी और ठेकेदार मिलीभगत करके घटिया निर्माण करवा रहे हैं। उनका कहना है कि अधिकारियों की निगरानी बिल्कुल ही प्रभावी नहीं रही। सडक़ इतनी जल्दी खराब होना भ्रष्टाचार और लापरवाही की स्पष्ट मिसाल है।

बर्दाश्त नहीं की जाएगी लापरवाही

जिला पंचायत सदस्य मोहनी पांडेय, अखिल वांडेय, सल्लू मिश्रा ने कहा कि सडक़ निर्माण में भ्रष्टाचार हावी है। निगरानी और कार्यपालनयंत्री, एसडीओ की बेपरवाही व ठेकेदार की लापरवाही के कारण सडक़ गुणवत्ता विहीन बनी है। खराब सडक़ें न सिर्फ आवागमन को प्रभावित करती हैं, बल्कि दुर्घटनाओं का कारण भी बन रही हैं। कलेक्टर से पूरी सडक़ की जांच कराते हुए ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

लोक निर्माण विभाग का अजब तर्क

एसडीओ जेपी पटेल ने सडक़ खराब होने के लिए गुणवत्ता की बजाय ओवरलोड वाहनों को जिम्मेदार ठहराया। उनके अनुसार प्रस्ताव बनाते समय विभाग ने ओवरलोड वाहनों के गुजरने का अनुमान नहीं लगाया। भारी वाहन गुजरने के कारण सडक़ खराब हुई है। उन्होंने कहा कि जहां सडक़ उखड़ गई है, वहां सुधार का काम चल रहा है। वहीं इनका कहना है कि डामर सडक़ तो मार्च के पहले ही बन गई थी, अब खराब हो रही है तो उसे ठीक भी तो कराया जा रहा है। ठेकेदार पांच साल तक सडक़ को ठीक करेगा। अब सवाल यह उठता है कि पहले साल में ही सडक़ खस्ताहाल हो गई है तो फिर लोगों को सुगम यातायात की सुविधा कैसे मिलेगी।

पेंचवर्क से ढंक रहे भ्रष्टाचार

ग्रामीणों ने बताया कि शिकायत होने पर भी अधिकारी ठेकेदार से पेंचवर्क कराकर समस्याओं को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका आरोप है कि ठेकेदार और विभाग के अफसर मिलीभगत से गुणवत्ताहीन निर्माण करवा रहे हैं, जिससे जनता की सुरक्षा और पैसे दोनों पर संकट उत्पन्न हो गया है। स्थानीय लोगों और जिला पंचायत सदस्यों ने मांग की कि सडक़ की स्वतंत्र जांच कराई जाए और दोषी ठेकेदार, अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं की लाएगी, और सडक़ निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित की जानी चाहिए।

वर्जन
का कहना है कि लगभग एक से डेढ़ साल पहले सडक़ बन गई थी। पेंच रिपेयर करा रहे हैं। सडक़ मार्च में ही हैंडोवर की है। जहां पर ओवरटॉप हुआ है, वहीं सडक़ खराब हुई है। छोटी-छोटी पुलिया जहां पर बनी हैं वहां पर अधिक डैमेज हुआ है। जहां भी समस्या है वहां ठीक करा रहे हैं।
वीरेंद्र सिंह ठाकुर, इंजीनियर प्रगति इंडिया।

वर्जन
सडक़ का निर्माण गुणवत्तायुक्त क्यों नहीं हुआ, सडक़ निर्माण की निगरानी विभाग ने ठीक से क्यों नहीं की, ठेकेदार पर क्या कार्रवाई की गई है इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। जांच में दोषियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
आशीष तिवारी, कलेक्टर।

Published on:
11 Oct 2025 07:54 pm
Also Read
View All

अगली खबर