कटनी

विजयराघवगढ़ रियासत व मध्यप्रांत से समृद्ध हुई हिंदी, अब जरूरत है कि बचे हिंदी की मौलिकता…

जिले के कवियों व साहित्यकारों की आवाज कि सरकारी विभागों में पूरी तरह होना चाहिए हिंदी का बोलबाला

3 min read
Sep 15, 2025

कटनी. हमारी आन-बान और शान मातृभाषा ‘हिंदी’ दिवस है। आधुनिकता और वैश्वीकरण के युग में लोग मातृभाषा से बेवजह तौबा कर रहे हैं। खासकर तकनीकी युग में सामाजिक माध्यम में हिंदी को कचरा किया जा रहा है। हिंदी हमारे जीवन, संस्कृति और देश का आधार है, बावजूद इसके युवान सामाजिक संजाल, रोजमर्रा की जिंदगी कहें या फिर कर्मक्षेत्र में बेवजह हिंदी को किनारे करते हैं, जबकि अंग्रेजी कहें या फिर अन्य भाषा में वे अपनी अभिव्यक्ति को भाव से बयां नहीं कर पाते। रील की दुनिया तो हिंदी की वास्तविकता व मौलिकता से दूर कर रही है। हालांकि इन तमाम वजूदों के बाद भी हमारी मातृभाषा समृद्ध है। जरूरत है इसे और पुष्ट करने की। शहर व जिले के साहित्यकार कहते हैं सरकारी विभाग में हिंदी तो लगता है जैसे पाखंड बनकर रह गई है। कई जगह काम अंग्रेजी में हो रहे हैं। पत्राचार अंग्रेजी में चल रहे हैं। चिकित्सक भी अंग्रेजी में ही दवाएं लिख रहे हैं।

विश्वविद्यालय में शामिल कराई हिंदी

कवि राजेंद्र ठाकुर कहते हैं कि आज के परिवेश में हिंदी को सोशल मीडिया में कचरा किया जा रहा है। हिंदी की मौलिकता बचाने के लिए प्रयास होने चाहिए। सही हिंदी न होने के कारण प्रभाव घट रहा है। बताया कि कटनी में 1872 के पहले विजयराघवगढ़ स्टेट रियासत में शामिल था। इसके बाद अंग्रेजों ने जबलपुर में मिलाया। राजा सरयूप्रसाद के बेटे ठा. जगमोहन सिंह बनारस में रहकर शिक्षा प्राप्त करने के बाद हिंदी को गढऩे में बड़ा योगदान है। पहले इतनी परिस्कृत हिंदी नहीं होती थी। कवि राजेंद्र ठाकुर कहते हैं कि कटनी की धरा से राय बहादुर हीरालाल 1922 में जिलाधीश के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद अंग्रेजी काल में मध्यप्रांत जो महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तसीगढ़, उड़ीसा का कुछ हिस्सा आता था, जिसकी राजधानी नागपुर थी। इन्होंने हिंदी सम्मेलन की स्थापना की, ताकि हिंदी का विकास व उन्नययन हो। नागपुर विश्वविद्यालय में हिंदी नहीं थी, उसे कोर्स में शामिल कराया गया। अंग्रेज मानते थे की हिंदी साहित्य नहीं है, तो फिर उन्होंने उपलब्ध कराया। उनके मानक की शुद्ध हिंदी कोई नहीं लिख रहा। कटनी के दो अन्य साहित्यकारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हिंदी प्रदेश के व्यक्ति होने के कारण मातृभाषा को समृद्ध किया। पूर्व में भी जिले में वरिष्ठ साहित्यकार हुए हैं।

हिंदी निर्मित करती है सहजता का वातावरण निर्मित

हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. चित्रा प्रभात कहती हैं कि हिंदी अपनी मातृभाषा है। मातृभाषा की स्थिति अच्छी नहीं हैं। हिंदी साहित्य को छोडकऱ जितने भी विषय हैं अब उनकी हिंदी की पुस्तकें हैं। हिंदी ग्रंथ अकादमी की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कटनी में हिंदी के बहुत साहित्यकार हैं। जिन्होंने हिंदी को नईं ऊंचाइयां प्रदान की हैं। कवि प्रकाश प्रलय ने हिंदी के बहत्व को बढ़ाया था। आज की पीढ़ी को उनसे सीखना चाहिए। भाषा की अभिव्यक्ति मातृभाषा में होती है। जो मन के साथ बातों को जोडकऱ व्यक्त करती है। दूसरी भाषा में वास्तविक अभिव्यक्ति नहीं आती। यहां पर पत्राचार की भाषा हिंदी है। यह आम आदमी तक पहुंच की भाषा है। हर व्यक्ति कई प्रकार की भाषा नहीं सीख सकता, लेकिन हिंदी से सहजता का वातावरण निर्मित हुआ है। जो अपने मां की भाषा को पटल पर रखना चाहते हैं, उससे अच्छा माध्यम नहीं है।

सोशल मीडिया से लेकर कॅरियर तक महत्वपूर्ण है हिंदी

हिंदी विशेषज्ञ डॉ. विमला मिंज का कहना है कि आज युवा इंस्टाग्राम रील्स, यूट्यूब और टिकटॉक सहित कई ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैं जो वैश्विक मंच पर हैं पर हिंदी का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। यहां हिंदी सिर्फ बोलने-लिखने तक सीमित नहीं है, बल्कि मीम्स, शॉर्ट वीडियो और ट्रेंड्स की भाषा बन चुकी है। हिंदी भाषी क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि बड़े शहरों में भी हिंदी कंटेंट राइटर्स, ट्रांसलेटर्स, वॉइस-ओवर आर्टिस्ट और सोशल मीडिया मैनेजर की मांग बढ़ी है। हिंदी भाषा के कौशल से युवाओं को कॅरियर की नई उड़ान मिल रही हैं। इसमें कई कवि जीवंत उदाहरण हैं।

हिंदी में आ रहे एप

डॉ. मधुरी गर्ग का कहना है कि कई नए स्टार्टअप्स और ऐप्स जैसे कि जोश, मोज, जीपीटी, ग्रोक आदि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को ही अपना आधार बना रहे हैं। यह एक नया बाजार है जहां हिंदी जानने वालों के लिए अपार संभावनाएं हैं। हर जगह हिंदी को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह रोजगार के लिए भी महत्वपमर्ण है। यह हमारी मातृभाषा होने के कारण सबकुछ समझते हैं। सरकार से भी बढ़ावा मिल रहा है।

हर क्षेत्र में हिंदी हो रही समृद्ध

डॉ. रंजना वर्मा का कहना है कि युवाओं के बीच हिंग्लिश (हिंदी और इंग्लिश का मिश्रण) का चलन बढ़ रहा है। कई तरह से भाषाएं विकसित हो रही हैं और युवा इसे हिंदी में तैयार कर ले रहे हैं। डिजिटल प्लेटफॉम्र्स पर हिंदी कंटेंट की खपत कई गुना बढ़ गई है। लोग सुबह से लेकर शाम तक संदेश हिंदी में दे रहे हैं। युवा क्रिएटर्स, यूट्यूबर्स और इंस्टाग्रामर्स हिंदी को खास तवज्जो दे रहे हैं। तिलक कॉलेज परिसर में युवाओं के बीच हिंदी का ग्लोवल उपयोग पर भी चर्चा की गई।

Published on:
15 Sept 2025 08:13 pm
Also Read
View All

अगली खबर