जिले में सोयाबीन की ही नहीं बल्कि कपास की फसल भी बडे पैमाने पर प्रभावित हुई है। पुनासा क्षेत्र में सबसे अधिक कपास की फसल खराब हुई है।
किसान बोले- पुनासा क्षेत्र में 60-70 फीसदी काटन की फसलें प्रभावित, सर्वे करने अफसरों को आदेश का इंतजार
जिले में सोयाबीन की ही नहीं बल्कि कपास की फसल भी बडे पैमाने पर प्रभावित हुई है। पुनासा क्षेत्र में सबसे अधिक कपास की फसल खराब हुई है। भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि हर गांव में एक हजार एकड़ से अधिक एरिया में कपास की फसल प्रभावित हुई है। कपास की फसलों में जल जमाव होने से पीली पड़ गई। डेंडू खराब होने के साथ ही घेटे काले पड़ गए हैं ।
जिले में 47 हजार से अधिक कपास की बोवनी हुई है। इसमें सबसे अधिक कपास पुनासा तहसील क्षेत्र में है। पुनासा के ग्राम दियानतपुरा के किसान सुभाष यादव छह एकड़ कपास की बोवनी की गई है। बारिश के चलते घेटे काले पड़ गए। फसल पीली पड़ गई है। सुभाष यादव भारतीय किसान संघ के तहसील अध्यक्ष भी हैं। यादव का कहना है कि दियानतपुरा में एक हजार एकड़ से अधिक एरिया में कपास की खेती प्रभावित हुई है। अधिकर खेतों में काटन के डेंडू खराब हो गए।
भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष राधेश्याम चाचरिया ने बताया कि पुनासा क्षेत्र में पांच हजार एकड़ से अधिक एरिया में फसल प्रभावित हो गई है। इसी तरह कालिया खेड़ी, डुडबा, अटूट आदि ग्रामों में भी कपास की की फसल प्रभावित हुई है। जिला प्रशासन सरकार के आदेश का इंतजार कर रहा है। किसानों की फसलें खेतों में खराब हो रही हैं। जमीनी सर्वे शुरू कराया जाए।
खरीफ सीजन में सोयाबीन, कपास, मक्का की फसलें प्रभावित हुई हैं। इसमें सबसे अधिक सोयाबीन की फसल खराब हुई है। कपास और मक्का की फसलें सोयाबीन की तुलना में कम खराब हुई है। किसानों ने बताया कि कालिया खेड़ी, बड़नगर में सोयाबीन की फसल शत प्रतिशत खराब हो गई है। इसी तरह जिलेभर में सोयाबीन की अधिकतर खेती प्रभावित हुई है।