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साक्षात्कार : नए साल में विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार का नया उपन्यास लेकर आ रहे डॉ विकास शर्मा

डॉ. विकास शर्मा की आगामी उपन्यास में विश्वविद्यालयों के भ्रष्टाचार, एनईपी-2020 और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे मुद्दों शामिल हैं। जनवरी-2026 में फिलीपींस से प्रकाशित हो रही है। उनका मानना है कि लोकतंत्र के लिए विपक्ष की मजबूती आवश्यक है और साहित्यकारों को किसी पार्टी की विचारधारा का प्रचार नहीं करना चाहिए।

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खंडवा

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Rajesh Patel

Dec 25, 2025

Novelist Dr. Vikas Sharma

उपन्यासकार डॉ. विकास शर्मा

डॉ. विकास शर्मा न केवल उपन्यासकार, लेखक हैं। बल्कि अखिल भारतीय अंग्रेजी शिक्षक संघ के राष्ट्रीय महामंत्री भी हैं। शिक्षा, राजनीति और साहित्य पर उनकी दृष्टि स्पष्ट और बेबाक है। उनका कहना है कि नई शिक्षा नीति अच्छी सोच के साथ बनी थी। लेकिन शिक्षकों को पढ़ाने से अधिक बाबूगीरी में उलझा दिया है। वंदे भारत जैसी विरासत को राजनीति नहीं होनी चाहिए।

नए साल में फिलीपींस में उपन्यास होगी प्रकाशित

पत्रिका के विशेष संवाददाता राजेश पटेल से विशेष चर्चा में उपन्यासकार डॉ विकास शर्मा ने कहा, जनवरी-2026 में आने वाली आगामी उपन्यास में विश्वविद्यालयों के भ्रष्टाचार, एनईपी-2020 और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे मुद्दों शामिल हैं। जनवरी-2026 में फिलीपींस से प्रकाशित हो रही है। उनका मानना है कि लोकतंत्र के लिए विपक्ष की मजबूती आवश्यक है और साहित्यकारों को किसी पार्टी की विचारधारा का प्रचार नहीं करना चाहिए।

प्रश्न : नई शिक्षा नीति कॉलेजों में कितनी कारगर साबित हो रही है और आपकी क्या राय है।

जवाब : मैं अखिल भारतीय अंग्रेजी शिक्षक संघ का राष्ट्रीय महामंत्री होने के नाते कह रहा हूं कि नई शिक्षा नीति बहुत अच्छी बनी थी, लेकिन इतनी उलझ गई है कि हमारे शिक्षक प्राध्यापक बनने की बजाए क्लर्क बनकर रहे गए हैं। हमें लगता है शिक्षा नीति की प्रक्रिया को अपनाते समय इस बात का ध्यान नहीं रखा गया कि शिक्षकों के पास बाबूगीरी का काम ज्यादा हो गया है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। शिक्षकों पर इतना बोझ आ गया है कि कई तो बीआरएस लेने की सोच रहे हैं। इससे छात्रों का नुकसान हो रहा है।

प्रश्न : वंदे मातरम् के 150 साल पूरे हो गए हैं। इस पर राजनीति हो रही है। इसे आप किस रूप में देखते हैं।

जवाब : ये राजनीति की तुष्टीकरण है। वंदे मातरम का सम्मान होना चाहिए। हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा है। हमारी विरासत है। इस लिए लिए हम कहते हैं कि इसका सम्मान होना चाहिए। हमारी विरासत को लेकर तुष्टीकरण की राजनीति घृणित है। मैं तो इसकी निंदा करता हूं।

प्रश्न : एसआइआर का कुछ लोग विरोध कर रहे हैं। इस प्रक्रिया को लेकर आप की क्या राय है।

जवाब : एसआइआर का मैं पक्षधर हूं। इसको लेकर राजनीतिक विरोध हो रहा। ये तो व्यवस्था की प्रक्रिया का एक हिस्सा है।

प्रश्न : आज कल आप नया क्या लिख रहे हैं। अगला उपन्यास कब आएगा। और इस बार क्या संदेश देना चाहते हैं।

जवाब : मेरा नया उपन्यास-2026 में आने वाला है। जनवरी में आएगा। इसकी घोषणा मैं खंडवा में करता हूं। चार पाइंट विशेष रिपोर्ट है। इसमें विश्व विद्यालयों में भ्रष्टाचार, एनईपी-2020, आर्टिफिशयल इंटेलीजेंट पर 15 वां उपन्यास आ रहा है। 250 पेज का उपन्यास फिलीपींस में प्रकाशित होगा।

प्रश्न : देश की वर्तमान राजनीति में पक्ष-विपक्ष की भूमिका को कैसे देखते हैं। इस पर आप की क्या राय है।

जवाब : विपक्ष काफी कमजोर है, लोकतंत्र के लिए विपक्ष को मजबूत होना जरूरी है। सरकारें आती हैं और जाती हैं। लेकिन व्यवस्था में कोई खास परिवर्तन नहीं होता है। मैं लेखक भी हूं, इस लिए कहता हूं कि साहित्यकार, पत्रकार और लेखकों को किसी पार्टी के ऑडियोलॉजी को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।