Chhattisgarh News: अब अंडरग्राउंड खदानों से कोयला उत्पादन करने में नहीं होगी दिक्कत क्योंकि अब कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी एसईसीएल नई प्रयोग के साथ सभी अंडरग्राउंड कोयला खदानों में कन्टीन्यूअस माइनर मशीन से कोयला उत्पादन को बढ़ाने की है।
Chhattisgarh News: अंडरग्राउंड खदानों से कोयला उत्पादन बढ़ाने को लेकर कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी एसईसीएल नई प्रयोग के साथ आगे बढ़ रही है। इसकी जानकारी एसईसीएल के सीएमडी डॉ. प्रेमसागर मिश्रा ने दी है। मिश्रा स्वतंत्रता दिवस पर कंपनी मुख्यालय बिलासपुर में कर्मचारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अंडरग्राउंड कोयला खनन से पर्यावरण को अधिक नुकसान नहीं हो होता है। इसे ध्यान में रखते हुए कंपनी ने अंडरग्राउंड खदानों में 16 कन्टीन्यूअस माइनर (सीएम) मशीन को उतारा है।
कन्टीन्यूअस माइनर मशीन की मदद से कोयले की कटिंग कर बाहर निकाला जा रहा है। आने वाले दिनों में कंपनी की योजना 58 कन्टीन्यूअस माइनर और उतारने की है। वही मशीन की एक और खासियत है कि इससे 100 एमएम साइज का कोयला काटकर बाहर निकाला जाएगा। खदान से कोयले का बड़ा टुकड़ा बाहर नहीं आएगा। साथ ही आपको बता दे की कंटीन्यूस माइनर मशीन के इस्तेमाल से 24 घंटे में अधिकतम एक हजार टन कोयला काटकर बाहर निकाला जा सकता है। वर्तमान में जिस भूमिगत खदान में इस्तेमाल होने वाली एसडीएल से रोजाना 150 कोयला को उठाकर कन्वेयर बेल्ट तक पहुंचाया जाता है। जबकि लोड हॉल डंप के जरिए प्रतिदिन अधिकतम 200 टन कोयला फेस से बाहर निकालता है। अभी कोयला कंपनी विश्राम एरिया के गायत्री खदान में कंटीन्यूस माइनर का इस्तेमाल कर रही है।
इसके लिए कोरबा एरिया की भूमिगत कोयला खदान रजगामार को चिन्हित किया गया है। कंटीन्यूस माइनर मशीन को उतारने की प्रक्रिया जारी है। इसी साल पहली तिमाही में मशीन को रजगामार खदान में उतारने की योजना बनाई गई थी। लेकिन इससे जुड़ी प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं हो सकी है। इससे देरी हो रही है। रजगामार के साथ-साथ कोरबा एरिया की सिंघाली खदान में भी कंटीन्यूस माइनर मशीन से कोयला खनन की योजना है। बता दे की पिछले साल 10 जनवरी को कंपनी ने विश्रामपुर एरिया के अधीन स्थित केतकी खदान से एमओडी (माइन डेवलपर एंड ऑपरेटर) कोयला खनन शुरू किया गया है। यह कोल इंडिया की पहली एमओडी माइन है। इस खदान में कंटीन्यूस माइनर मशीन उतारी गई है।
आने वाले दिनों में रजगामार, सिंघाली सहित अन्य भूमिगत कोयला खदानों में खनन के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाना है। गौरतलब है कि रजगामार और सिंघाली खदान भी घाटे में चल रही है। यहां मैन पावर अधिक है और कोयला खनन कम है। स्थिति ऐसी है कि इन दोनों खदानाें से कोयला निकालकर यहां काम करने वाले कर्मचारियों का दिया जाना संभव नहीं है।
अभी भूमिगत खदानों में कोयला खनन के लिए ब्लॉस्टिंग किया जाता है। इसके लिए बारुद और डेटोनेटर का इस्तेमाल किया जाता है। ब्लॉस्टिंग कर तोड़े गए कोयले को साइड डिस्चार्ज मशीन (एसडीएल) या लोड हॉल डंप (एलएसडी) के जरिए फेस से उठाकर कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से खदान के बाहर कोयला निकाला जाता है। कंटीन्यूस माइनर मशीन के इस्तेमाल से अंडरग्राउंड खदानों में ब्लॉस्टिंग बंद हो जाती है। कंटीन्यूस माइनर मशीन फेस पर पहुंचकर कोयले को काटेगी और इसे एकत्र कर कन्वेयर बेल्ट पर डाल देगी। कटिंग के दौरान मशीन पानी का इस्तेमाल करेगी। फेस को हमेशा गीला रखेगी। इससे खदान में कोल डस्ट की समस्या कम होगी। उत्पादन में तेजी आएगी।