Kota's Apna Ghar Ashram: कोटा का 'अपना घर आश्रम' एक अनोखी पहल है, जहां निराश्रितों और जरूरतमंदों की सहायता के लिए चंदा मांगने की बजाय ठाकुरजी को चिट्ठी लिखी जाती है।
Rajasthan's Unique Ashram: कोटा के अपना घर आश्रम में रहने वाले निराश्रितों के लिए आज भी सहयोग राशि के लिए किसी से चंदे की गुहार नहीं लगाई जाती। आज भी यहां जरूरतमंदों की आवश्यकता की वस्तुओं के लिए बोर्ड पर ठाकुरजी को चिट्ठी लिखी जाती है। भामाशाह खुद यहां आकर इस चिट्ठी को पढ़कर जरूरतमंदों के लिए आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध करवाते हैं।
कोटा का अपना घर आश्रम 2012 में नांता स्थित नारी निकेतन के भवन में शुरू हुआ था। उस समय यहां कोटा के 25 और जयपुर के 25 निराश्रितों को रखा गया। 2017 में इसे पॉलिटेक्निक कॉलेज के निकट खंडहर पड़े भवन में शिफ्ट किया गया। इसके बाद से निराश्रित लोगों की यहां निशुल्क सेवा की जा रही है। वर्तमान में आश्रम में 185 निराश्रित और बीमार महिलाएं और 125 निराश्रित पुरुष रह रहे हैं। इनकी देखभाल के लिए 54 लोग यहां केयर टेकर समेत अन्य कार्य कर रहे हैं।
अपना घर आश्रम की ओर से बजरंग नगर क्षेत्र में वृद्धाश्रम का भी निर्माण किया जा रहा है। ऐसे में इसके लिए आवश्यक निर्माण सामग्री के लिए ठाकुरजी को चिट्ठी लिख दी गई है। इसके अलावा आश्रम के लिए आवश्यक सामग्री के लिए ठाकुरजी को चिट्ठी लिखी जा चुकी है। ऐसे में भामाशाह और दानदाता बोर्ड पर लिखी गई इस चिट्ठी को देखकर अपनी क्षमता के अनुसार यहां सामग्री उपलब्ध करवाते हैं।
अपना घर आश्रम निराश्रितों का उपचार कराने के बाद अब तक 902 निराश्रित लोगों को उनके परिजनों से मिला चुका है। अब तक यहां 2339 निराश्रितों को प्रवेश दिया जा चुका है। 856 निराश्रितों को अन्य आश्रमों में स्थानान्तरित किया जा चुका है।
पॉलिटेक्निक कॉलेज के व्याख्याता नरेन्द्र सिंह सेंगर बताते हैं कि आश्रम को सरकार की ओर से मृतकों के देह मेडिकल कॉलेज को देने की अनुमति भी दी गई है। ऐसे में अब तक आश्रम में उपचार के दौरान अज्ञात लोगों की मौत होने पर 26 देह मेडिकल कॉलेज कोटा को और 1 देह आयुर्वेदिक कॉलेज कोटा को दी जा चुकी है।
अपना घर आश्रम में किसी से चंदा मांगने की परंपरा नहीं है। आश्रम संचालकों का मानना है कि यदि कोई पुनीत कार्य किया जाए तो ठाकुरजी उसकी पूरी मदद करते हैं। ऐसे में यहां निराश्रितों की जरूरत के लिए ठाकुरजी को चिट्ठी लिखने के लिए बोर्ड पर जरूरत का सामान लिख दिया जाता है। खुद भामाशाह मानवता की सेवा के लिए यहां आकर जरूरत की वस्तुओं उपलब्ध करवाते हैं।
योगेन्द्र मणि कौशिक, अध्यक्ष, अपना घर आश्रम, कोटा