Operation Sindoor: सिंदूर को लेकर चर्चा हो रही है। ऐसे में आइए हम पढ़ते हैं कि सिंदूर का इतिहास (History Of Sindoor) क्या है और कहां से सिंदूर लगाने की परंपरा शुरू हुई?
History Of Sindoor: एक बार फिर हमने ये बता दिया कि सिंदूर हम भारतीयों के लिए कितना महत्व रखता है। आतंकियों ने सिंदूर उजाड़ी तो हमने बदले के लिए ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) से करारा जवाब दिया। शादी-विवाह, पर्व-त्योहार में प्रेम को दर्शाता ये सिंदूर कई बार काल कारण भी बन जाता है। जिसका जीवंत उदाहरण आप देख ही रहे हैं। ऐसे में सिंदूर को लेकर काफी कुछ गूगल पर सर्च किया जा रहा है। चलिए, हम सिंदूर का इतिहास जान लेते हैं और सिंदूर से जुड़ी पौराणिक कहानियों को भी पढ़ते हैं जो हमें प्रेरणा देती हैं।
Operation Sindoor भी सिंदूर का महत्व बता रहा है। भारत ने सबसे पहले सिंधु नदी का पानी रोक कर आतंक पर चुप्पी साधी पाकिस्तान सरकार को जगाया। उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकियों को राख करने का काम किया। ये संयोग समझिए या कुछ और…जो सिंधु और सिंदूर आज पाकिस्तान के लिए काल बने हैं। इन दोनों का नाता भी इतिहास से जुड़ा रहा है। वो कैसे, आप आगे समझ जाएंगे।
हम सबसे पहले सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) को समझते हैं जिससे सिंदूर का इतिहास समझ आएगा। सिंधु घाटी सभ्यता का पूर्व हड़प्पा काल करीब 3300 से 2500 ईसा पूर्व माना जाता है।जर्नल नेचर में प्रकाशित एक शोध में सिंधुघाटी सभ्यता को करीब 8 हजार साल पुराना माना गया है। जान लें, भारत का इतिहास भी सिंधु घाटी सभ्यता से ही आरंभ होता है जिसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से जानते हैं। यह करीब 2500 ईस्वी पूर्व दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग मैं फैली हुई थी। वर्तमान सिंधुघाटी सभ्यता की साइट पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में फैली हुई है।
बताया जाता है कि सिंदूर का उपयोग सिंधु या हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की सभ्यता में देखने को मिला। यहां पर खुदाई में मिली अत्यंत प्राचीन मूर्तियों पर सिंदूर की मौजूदगी और उपोग की जानकारी मिली।
हड़प्पा कालीन की सभ्यता सबसे बड़ी साइट राखीगढ़ी में खुदाई के दौरान महिलाओं के सजने संवरने को लेकर काफी चीजें मिलीं। पत्थर की मालाएं, मिट्टी,तांबा व फियांस से बनीं चूड़ियां, कंगन, सोने के आभूषण, मिट्टी की माथे की बिंदी, सिंदूर दानी, अंगूठी, कानों की बालियां आदि। इससे ये पता चल जाता है कि महिलाएं 8 हजार साल पहले भी सिंदूर लगाती थीं और सजने संवरने के लिए कंगन-चूड़ी, अंगूठी, बिंदी आदि का यूज करती थीं।
खुदाई के दौरान जब चीजें मिली तो ये भी पता लगाया गया कि इनको बनाया कैसे जाता है। ये पता चलता है कि सिंदूर को पुराने जमाने में हल्दी, फिटकिरी, या चूने से सिंदूर को बनाया जाता था।
वेदों और पुराणों में भी सिंदूर का उल्लेख मिलता है। महाभारत में द्रौपदी, रमायण में सीता व हनुमान के साथ भी सिंदूर से जुड़ी कथाएं पढ़ने को मिलती हैं। इस तरह से भी इस बात की पुष्टि होती है कि हिंदू धर्म में सिंदूर का महत्व लंबे समय से है।
इस सिंदूर की एक कहानी महाभारत में पढ़ने को मिलती है। द्रौपदी ने चीरहरण के गुस्से में बाल खोल दिए थे और सिंदूर नहीं पोछा। कहा जाता है कि उसके बाद सिंदूर भी नहीं लगाया था। द्रौपदी ने चीरहरण का बदला पूर होने पर महाभारत युद्ध में दुशासन के खून से बाल धोए थे और उसके बाद लाल सिंदूर से मांग सजाया था।
इस तरह से सिंदूर हजारों साल बाद भी हमारे साथ है। आज हम हिंदू समाज में इसका महत्व उतना ही है।