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What Is The 12 Grapes Tradition: “12 महीना 12 अंगूर” का क्या है किस्मत कनेक्शन, सोशल मीडिया पर चल रहे इस ट्रेंड का खेल समझिए

What Is The 12 Grapes Tradition: नए साल से पहले डिलीवरी ऐप्स पर अंगूर की बिक्री अचानक बढ़ने लगी और यह 7 गुना अधिक बिकने वाली चीज बन गई, जिससे ब्लिंकिट के सीईओ भी हैरान रह गए। क्यों ऐसा हुआ और क्या हैं इस क्रेज का फंडा आइए जानते है यहां

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Jan 02, 2025
What Is The 12 Grapes Tradition

What Is The 12 Grapes Tradition: दुनिया भर में नये साल का स्वागत करने के लिए लोग कई परंपराएं और रीति-रिवाज अपनाते हैं। इन रीति-रिवाजों में विशिष्ट फल खाने की प्रथा भी शामिल है। जिसके बारे में माना जाता है कि इसके सेवन से जीवन में स्वास्थ्य लाभ तो होता है। साथ ही सौभाग्य की प्राप्ति भी होती हैं। इन फलों के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को समझना काफी दिलचस्प है। आइए जानते हैं, भाग्य के 12 अंगूर के बारे में जो सोशल मीडिया (What Is The 12 Grapes Tradition) से लेकर फूड डिलीवरी ऐप्स तक क्यों धूम मचा दी।

What Is The 12 Grapes Tradition: सोशल मीडिया पर '12 अंगूर' का क्रेज

भारत में नये साल पर अंगूर की मांग अचानक आसमान छूने लगी। ब्लिंकिट के सीईओ अलबिंदर ढींडसा ने अपने ट्वीट में इस बढ़ती मांग पर हैरानी जताते हुए बताया कि 31 दिसंबर को अंगूर सबसे ज्यादा ऑर्डर की जाने वाली वस्तुओं में शामिल हो गए। उन्होंने कहा "आज अंगूर की डिमांड सामान्य दिनों से 7 गुना ज्यादा है। अंगूर की बढ़ती मांग समझ के बाहर है। शायद यह 12 अंगूर का असर है।"

12 अंगूर खाने का मतलब?

12 अंगूर खाने का मतलब बेहद रोचक है। हर अंगूर एक महीने का प्रतीक है। जैसे ही घड़ी रात के 12 बजने का ऐलान करती है, हर घंटे की घंटी पर एक-एक अंगूर खाया जाता है। ये सिर्फ फल नहीं, बल्कि नये साल की उम्मीदों, खुशियों और अच्छी किस्मत का स्वाद हैं। हर अंगूर के साथ एक प्रार्थना की जाती है, जो आने वाले महीने को बेहतर बनाने की कोशिश है।

कैसे हुई इस परंपरा की शुरुआत?

स्पेन में नये साल की शुरुआत एक अनोखी परंपरा के साथ होती है। इसे "लास डोसे उवास डे ला सुएर्ते" जिसे भाग्य के 12 अंगूर भी कहा जाता है। यह परंपरा नये साल की रात 12 बजे घंटी बजने के साथ की जाती है। हर घंटी के साथ एक अंगूर खाने का रिवाज होता है, जो आने वाले साल के 12 महीनों के लिए आपके सौभाग्य और सफलता का प्रतीक माना जाता है।

इस परंपरा की शुरुआत 1985 में पूर्वी स्पेन के एक प्रांत एलिकांटे से हुई थी, जहां दिसंबर में अंगूरों का अधिक बिक्री होने पर एलिकांटे के बेल उत्पादकों ने अंगूर की बिक्री बढ़ाने के लिए इस परंपरा की शुरुआत की थी और ऐसा माना जाता है कि वहां अंगूर की बहुत बिक्री बढ़ने लगी और धीरे-धीरे यह परंपरा स्पेन और आसपास के देशों में लोकप्रिय हो गई। आज यह परंपरा न केवल स्पेन में, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में अपनाई जा रही है।

भारत में क्यों बन गया ये ट्रेंड?

आज के समय में कोई भी परंपरा इंटरनेट और सोशल मीडिया (What Is The 12 Grapes Tradition) की मदद से दुनिया के कोने-कोने तक पहुंच जाती है। खासतौर पर जब बात खाने और फेस्टिवल्स की हो, तो भारतीय इससे पीछा नहीं छूटते। '12 अंगूर' की इस परंपरा ने भारतीयों के दिल में जगह बना ली है, क्योंकि यह एक मजेदार और सकारात्मक तरीका है नये साल को खास बनाने का।

ब्लिंकिट पर बढ़ा अंगूर का डिमांड

नये साल पर भारत में अंगूर की मांग तेजी से बढ़ने लगी। ब्लिंकिट के सीईओ अलबिंदर ढींडसा ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि अंगूर की डिमांड इतनी बढ़ गई कि ये सबसे ज्यादा ऑर्डर की जाने वाली चीजों में शामिल हो गए। 7 गुना ज्यादा डिमांड के साथ अंगूर ने ब्लिंकिट के स्टॉक को हिला कर रख दिया।

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