BJP District President Selection: उत्तर प्रदेश भाजपा के संगठनात्मक चुनावों में जिलाध्यक्षों और महानगर अध्यक्षों की घोषणा में एक माह से अधिक की देरी हो चुकी है। अन्य राज्यों में प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन यूपी में दिल्ली-लखनऊ के बीच सहमति नहीं बन पाने से कार्यकर्ता असंतुष्ट हैं और संगठन पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
BJP Mandal President: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संगठनात्मक चुनावों में जिलाध्यक्षों और महानगर अध्यक्षों की घोषणा में एक माह से अधिक की देरी हो चुकी है। इस विलंब के कारण पार्टी के राज्य प्रेक्षक विनोद तावड़े लगातार लखनऊ और दिल्ली के बीच समन्वय स्थापित करने में जुटे हुए हैं। इस देरी से प्रदेश के विभिन्न जिलों में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं में असंतोष व्याप्त है।
मध्य प्रदेश, राजस्थान, असम सहित कई राज्यों में मंडल, जिला, प्रदेश अध्यक्षों और राष्ट्रीय पार्षदों के चुनाव संगठन पर्व के तहत सफलतापूर्वक संपन्न हो चुके हैं। हालांकि, उत्तर प्रदेश में दो महीने बीत जाने के बाद भी एक दर्जन से अधिक जिलों और महानगरों में मंडल और जिला अध्यक्ष स्तर पर चुनाव परिणामों को लेकर लखनऊ और दिल्ली के बीच सहमति नहीं बन पाई है। इसका प्रतिकूल प्रभाव प्रदेश के अन्य जिलों पर भी पड़ रहा है।
भाजपा ने संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया के तहत 15 दिसंबर तक मंडल अध्यक्षों और 30 दिसंबर तक जिलाध्यक्षों के चयन की समयसीमा निर्धारित की थी। हालांकि, दिसंबर के अंत तक केवल कुछ ही जिलों में मंडल अध्यक्षों का चयन हो पाया है। उत्तर प्रदेश में लगभग 1918 मंडल अध्यक्ष बनाए जाने हैं, जिनमें से अब तक केवल 750 की सूची जारी की गई है। शेष मंडल अध्यक्षों की घोषणा अगले 2-3 दिनों में होने की संभावना है।
भाजपा ने संगठनात्मक आधार पर उत्तर प्रदेश को 98 जिलों में विभाजित किया है। इनमें से 18 से 20 जिलों में जिलाध्यक्षों के चयन को लेकर तीव्र खींचतान जारी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, विवाद रहित जिलों के अध्यक्षों की घोषणा पहले की जाएगी, जबकि जहां अधिक खींचतान है, वहां के परिणामों को फिलहाल होल्ड पर रखा जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष के चयन के बाद ऐसे जिलों में जिलाध्यक्षों की घोषणा की जाएगी।
संगठनात्मक चुनावों में हो रही इस देरी के कारण प्रदेश के विभिन्न जिलों में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं में असंतोष बढ़ता जा रहा है। इससे संगठन की कार्यक्षमता और आगामी चुनावी तैयारियों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। पार्टी नेतृत्व को जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान कर संगठन में नई ऊर्जा का संचार करना आवश्यक है।