लखनऊ

Education: परिषदीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को प्रशिक्षित कर दिव्यांग बच्चों का भविष्य संवारेगी Yogi सरकार

Divyang Shiksha: उत्तर प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में, समावेशी शिक्षा को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (CWSN) को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ने के उद्देश्य से, सरकार प्रदेश के 1.33 लाख प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को नोडल शिक्षक के रूप में प्रशिक्षित कर रही है।

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Feb 14, 2025
योगी सरकार का समावेशी शिक्षा की दिशा में बड़ा कदम

Education Special Student: उत्तर प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में समावेशी शिक्षा को सशक्त बनाने और दिव्यांग बच्चों (CWSN) को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बड़ा कदम उठा रही है। योगी सरकार प्रदेशभर के 1.33 लाख परिषदीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को नोडल टीचर्स के रूप में प्रशिक्षित कर रही है। पहले चरण में 66,000 से अधिक प्रधानाध्यापकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है और शेष को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

प्रधानाध्यापक निभाएंगे नोडल टीचर की भूमिका

नोडल टीचर के रूप में प्रधानाध्यापक अब परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत दिव्यांग बच्चों की आवश्यकताओं को समझकर उन्हें उचित शैक्षिक वातावरण और सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे। इससे प्रदेश में शिक्षा का स्तर और अधिक मजबूत होगा, जिससे दिव्यांग बच्चों को समान अवसर मिलने के साथ-साथ उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। उत्तर प्रदेश समावेशी शिक्षा के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम करने की ओर अग्रसर हो रहा है।

प्रदेश में 3 लाख विशेष आवश्यकता वाले बच्चे

प्रदेश में लगभग 3 लाख विशेष आवश्यकता वाले बच्चे परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत हैं। इनके उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए ब्लॉक संसाधन केंद्रों पर 10 दिवसीय (दो बैच में 5-5 दिन) प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में प्रधानाध्यापकों को दिव्यांग बच्चों की देखभाल, उनकी जरूरतों को समझने, शिक्षण तकनीकों, सरकारी योजनाओं की जानकारी और अभिभावकों से संवाद जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षित किया जा रहा है।

समावेशी शिक्षा को लेकर योगी सरकार की पहल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार समावेशी शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए यह सुनिश्चित कर रही है कि दिव्यांग बच्चे भी समान अवसरों के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए प्रधानाध्यापकों का यह विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है, जिसमें उन्हें यह सिखाया जा रहा है कि कैसे दिव्यांग बच्चों को प्रोत्साहित किया जाए, उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए और उनके लिए शिक्षण प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाया जाए।

प्रशिक्षण की मुख्य विशेषताएं

  • प्रधानाध्यापकों को नोडल टीचर्स के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि वे अपने विद्यालय में दिव्यांग बच्चों की जरूरतों का ध्यान रखते हुए उन्हें शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ सकें।
  • CWSN बच्चों की उपस्थिति को समर्थ पोर्टल पर दर्ज करने की प्रक्रिया भी सिखाई जाएगी, जिससे सरकारी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन संभव हो सकेगा।
  • अभिभावकों से संवाद स्थापित कर बच्चों की समस्याओं के समाधान और शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के उपायों पर चर्चा की जाएगी।
  • समावेशी शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए आधुनिक शिक्षण तकनीकों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह का बयान

प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा, “योगी सरकार प्रदेश के हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में हो। परिषदीय विद्यालयों में लगभग 3 लाख विशेष आवश्यकता वाले बच्चे पढ़ रहे हैं, जिन्हें शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ना हमारी प्राथमिकता है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से प्रधानाध्यापक न केवल इन बच्चों की जरूरतों को समझ पाएंगे, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।”

समावेशी शिक्षा के तहत उठाए गए अन्य कदम

  • दिव्यांग बच्चों के लिए स्पेशल एजुकेटर की नियुक्ति। 
  •  स्कूलों में विशेष शिक्षण सामग्री और टूल्स की उपलब्धता।
  •  कक्षा में इंटरेक्टिव लर्निंग तकनीकों को बढ़ावा।
  •  दिव्यांग बच्चों के लिए ट्रांसपोर्ट और अन्य सुविधाओं का विस्तार।

सरकार की योजना का प्रभाव

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद, उत्तर प्रदेश के सभी प्रधानाध्यापक दिव्यांग छात्रों की जरूरतों को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे और उन्हें शिक्षण की मुख्यधारा से जोड़ने में सक्षम होंगे। यह कार्यक्रम समावेशी शिक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा और प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

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