Delhi blast ats investigation faridabad: दिल्ली ब्लास्ट के बाद अब जांच एजेंसियों को कई अहम सुराग मिल चुके हैं। ATS और खुफिया एजेंसियों की नजरें अब फरीदाबाद की अल फलह यूनिवर्सिटी पर टिकी हैं, जहां बिल्डिंग नंबर 17 का रूम नंबर 13 आतंक की कहानी का नया केंद्र बन गया है।
Delhi blast ats investigation faridabad: फरीदाबाद की अल फलह यूनिवर्सिटी से दिल्ली ब्लास्टा की साजिश की पटकथा लिखे जाने के पुख्ता प्रमाण मिलने की बात सामने आई है। इस कमरे से मिले डिजिटल डेटा, दस्तावेज़ और सीसीटीवी फुटेज ने जांच को एक नया मोड़ दे दिया है।
लालकिला ब्लास्ट की साजिश को लेकर सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी कामयाबी मिली है। जांच में सामने आया है कि आतंकी मॉड्यूल में यूनिवर्सिटी से जुड़े चार डॉक्टर मुजम्मिल, आदिल, शाहीन और उमर के नाम शामिल हैं। इसके अलावा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. निसार अल हसन पर भी गंभीर शक जताया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, डॉ. मुजम्मिल और आदिल पिछले चार महीनों से बम बनाने में उपयोग होने वाले फर्टिलाइजर और केमिकल इकट्ठा कर रहे थे, जबकि उमर और शाहीन ने यूनिवर्सिटी की लैब से चोरी-छिपे कुछ केमिकल निकाले थे। जांच एजेंसियों का मानना है कि ये लोग करीब 200 बम तैयार करने की योजना पर काम कर रहे थे।
जांच एजेंसियों के अनुसार, इस साजिश की प्रमुख किरदार हैं डॉ. शाहीन अंसारी। पहले कानपुर के GSVM मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर रह चुकीं शाहीन को फरीदाबाद से विस्फोटक सामग्री के साथ गिरफ्तार किया गया था। शुरुआत में उन्होंने चुप्पी साधे रखी, लेकिन ATS की सघन पूछताछ में अब कई रहस्य खुलने लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक शाहीन बीते डेढ़ साल से अपने परिवार से बिल्कुल संपर्क में नहीं थीं।
शाहीन के पिता सईद अंसारी, जो वन विभाग से सेवानिवृत्त हैं, ने बताया कि उनकी बेटी डेढ़ साल से परिवार के संपर्क में नहीं थी। उन्होंने कहा, “तीन बच्चे हैं - शोएब, शाहीन और परवेज़। शाहीन पहले बहुत सीधी-सादी थी, लेकिन 2013 में अचानक मेडिकल कॉलेज की नौकरी छोड़ दी।” बाद में उसकी शादी महाराष्ट्र के जफर हयात से हुई, लेकिन 2015 में तलाक हो गया। पिता का कहना है कि तब से शाहीन पूरी तरह बदल गई और धीरे-धीरे परिवार से दूर होती चली गई।
2013 में नौकरी छोड़ने के बाद शाहीन ने 2021 तक दोबारा मेडिकल कॉलेज जॉइन नहीं किया। GSVM कॉलेज ने अनुपस्थिति के कारण उनकी सेवा समाप्त कर दी। इसके बाद वह फरीदाबाद चली गईं और वहीं डॉ. मुजम्मिल से मिलीं। मुजम्मिल ने ही उन्हें अल फलह यूनिवर्सिटी से जोड़ा। जांच एजेंसियों को शक है कि यहीं से शाहीन का संपर्क एक संदिग्ध नेटवर्क से हुआ जो बाद में आतंकी गतिविधियों में शामिल पाया गया।