यूपी की राजधानी लखनऊ में चारा नाबालिग एक लाल नीली बत्ती लगी कार से फर्राटा भर रहे थे। कार के शीशे पर डीसीपी ला एंड आर्डर लिखा था। पुलिस ने बताया कि यूपी में ऐसा कोई पद नहीं है। फिलहाल पुलिस गाड़ी मालिक से पूछताछ कर रही है।
लखनऊ : लखनऊ में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। शहर में एक लाल-नीली बत्ती लगी SUV से चार छात्र छात्र फर्राटा भरते नजर आए। यह चारों छात्र नाबालिग हैं। यह छात्र एक चाय की दुकान पर रुके। चारों छात्र SUV से नीचे उतरे, चाय पीकर चारों चलते बनें। कार के शीशे पर ‘डीसीपी एलओ’ लिखा है। जानकारी के मुताबिक यह पद यूपी सरकार में है ही नहीं। पुलिस ने नाबालिगों की गाड़ी का चालान कर दिया है। वहीं गाड़ी मालिक को मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि लखनऊ ही नहीं बल्कि पूरे यूपी में ऐसा कोई पद नहीं है। नाबालिगों के ड्राइविंग ही नहीं बल्कि पुलिस के नाम का फर्जी इस्तेमाल की पुष्टि हुई है। जानकारी के अनुसार, हजरतगंज स्थित हिंदी संस्थान के पास दोपहर करीब 1 बजे आकर रुकी एसयूवी से एक निजी स्कूल की ड्रेस पहने चार किशोर उतरे थे, जो चाय पीने के बाद चले गए। ट्रैफिक पुलिस के अनुसार जांच में पता चला है कि गाड़ी (यूपी 32 पीएक्स 1137) जानकीपुरम निवासी रामजी शुक्ला के नाम पर रजिस्टर्ड हैं। पुलिस ने रामजी शुक्ला से संपर्क कर पूछताछ के लिए बुलाया है।
उत्तर प्रदेश में डीसीपी (Deputy Commissioner of Police) लॉ एंड ऑर्डर (Law and Order) जैसा कोई पद नहीं है। डीसीपी सेंट्रल के अनुसार, इस तरह का कोई भी पद मौजूद नहीं है। पुलिस अब इस मामले की जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि पुलिस के नाम का इस्तेमाल क्यों किया गया। बिना अनुमति के लाल-नीली बत्ती लगाना और फर्जी पद का इस्तेमाल करना एक गंभीर अपराध है और पुलिस इस पर सख्त कार्रवाई करेगी।
अगर कोई नाबालिग बिना लाइसेंस के गाड़ी चला रहा है, तो इसके लिए वाहन मालिक के साथ-साथ बच्चे के माता-पिता को भी जिम्मेदार माना जाता है। ऐसे मामलों में, मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत जुर्माना और अन्य दंड हो सकते हैं। साथ ही, वाहन भी जब्त किया जा सकता है।