लखनऊ

Winter: जब ठंड बढ़ी तो भक्तों ने भगवान को पहनाए गर्म कपड़े, देखकर भावुक हुआ लखनऊ

Gods Get Winter Ready in Lucknow: लखनऊ में बढ़ती ठंड के बीच मंदिरों में एक भावनात्मक और भक्तिमय दृश्य देखने को मिला। बजरंगबली, भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और शनि देव को सर्दी से बचाने के लिए ऊनी वस्त्र पहनाए गए। श्रद्धालुओं ने इसे आस्था और सेवा का अनोखा संगम बताया।

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Dec 10, 2025
सर्द हवाओं के बीच ‘विंटर रेडी’ हुए मंदिर, देव प्रतिमाओं को पहनाए गए गर्म वस्त्र (फोटो सोर्स : Whatsapp News Group)

Winter Special: जैसे-जैसे उत्तर भारत में ठंड का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे इसका असर जनजीवन के साथ-साथ धार्मिक स्थलों पर भी साफ दिखाई देने लगा है। लखनऊ में बीते कुछ दिनों से रात और सुबह के समय बढ़ती गलन ने मौसम की गंभीरता का अहसास करा दिया है। इसी के साथ शहर के प्रमुख मंदिरों में एक अनोखी और भावनात्मक परंपरा भी देखने को मिली, जिसमें देवताओं की मूर्तियों को सर्दी के अनुसार गर्म वस्त्र पहनाए गए। मंगलवार की सुबह लखनऊ के कई प्रसिद्ध मंदिरों में भक्तों ने दर्शन करते समय देखा कि बजरंगबली, भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और शनि देव को स्वेटर, ऊनी शॉल, मफलर और गरम अंगवस्त्रों से सजाया गया था। यह दृश्य न केवल श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना, बल्कि उनमें एक गहरी आध्यात्मिक अनुभूति भी जाग्रत कर गया।

“सेवा ही सबसे बड़ी भक्ति”- पुजारी

मंदिर के वरिष्ठ पुजारियों का कहना है कि देव प्रतिमाओं की सेवा करना हिंदू परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। जैसे जीवन में ऋतु परिवर्तन होता है, वैसे ही देवताओं की सेवा में भी मौसम के अनुसार बदलाव किए जाते हैं। हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित रामअवतार शर्मा ने बताया कि जब मौसम बदलता है तो प्रभु के वस्त्र, आसन और श्रृंगार भी उसी अनुसार बदले जाते हैं। यह केवल परंपरा नहीं, बल्कि श्रद्धा और प्रेम की अभिव्यक्ति है। ठंड में जैसे हम अपने बच्चों को स्वेटर पहनाते हैं, ठीक वैसे ही प्रभु की सेवा की जाती है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष जल्दी ठंड आने और तापमान में अचानक गिरावट को देखते हुए पहले ही दिन मोटे ऊनी वस्त्रों की व्यवस्था कर ली गई थी।

अलग-अलग देवी-देवताओं का विशेष शीत श्रृंगार

प्रत्येक देव प्रतिमा के लिए विशेष प्रकार के वस्त्र तैयार किए गए। हनुमान जी को लाल रंग की ऊनी शॉल ओढ़ाई गई, भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को हल्के क्रीम रंग के ऊनी अंगवस्त्र पहनाए गए, जबकि माता सीता के लिए गुलाबी और सुनहरे रंग का गरम वस्त्र तैयार किया गया। शनि मंदिरों में भी विशेष तैयारी देखने को मिली। शनिदेव को काले रंग के ऊनी वस्त्र पहनाए गए और उनके आसन पर भी गरम कपड़े बिछाए गए। इसे “शनि शीत सेवा” कहा जा रहा है, जो हर वर्ष ठंड के मौसम में की जाती है।

भक्तों की भागीदारी ने बढ़ाई रौनक

इस धार्मिक आयोजन को केवल पुजारियों तक सीमित नहीं रखा गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने घरों से स्वहस्त निर्मित छोटे स्वेटर, टोपी और शॉल लेकर मंदिर पहुंचे। कुछ महिलाओं ने ऊन से खुद बुने हुए वस्त्र भी प्रभु को अर्पित किए। एक बुजुर्ग श्रद्धालु ने भावुक होकर कहा कि भगवान हमारे माता-पिता हैं। जैसे हम घर के बुजुर्गों का ध्यान रखते हैं, वैसे ही ईश्वर की सेवा भी हमारा धर्म है। आज उन्हें गर्म कपड़े पहनाकर दिल को बड़ी शांति मिली।

मंदिरों में बदला वातावरण

सुबह की आरती के समय मंदिर का माहौल पूरी तरह बदल गया। दीपकों की लौ, अगरबत्ती की खुशबू, घंटियों की मधुर आवाज और ऊनी वस्त्रों में सुसज्जित देव प्रतिमाओं का दृश्य वातावरण को और अधिक दिव्य बना रहा था। भक्तों का मानना है कि इस तरह का श्रृंगार न सिर्फ परंपरा है, बल्कि यह ठंड के मौसम में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक सुकून भी प्रदान करता है। कई लोगों ने इसे “भक्ति की गर्माहट” की संज्ञा दी।

बच्चों और युवाओं में विशेष उत्साह

इस अनोखी परंपरा को लेकर बच्चों और युवाओं में भी खासा उत्साह नजर आया। कई युवाओं ने मंदिरों में इस दृश्य की तस्वीरें और वीडियो बनाए, जिन्हें सोशल मीडिया पर साझा किया गया। हालांकि मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे पूजा स्थल की पवित्रता बनाए रखें और अनावश्यक भीड़ न लगाएं।

सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश

धार्मिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह परंपरा केवल आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरा सामाजिक संदेश भी छिपा है। बदलते मौसम के साथ जीवन में संतुलन बनाना, अपने आसपास के लोगों का ख्याल रखना और प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखना,ये सभी मूल्य इस प्रतीकात्मक परंपरा के माध्यम से समाज को दिए जाते हैं।

प्रशासन की भी नजर

मंदिरों में उमड़ती भीड़ और बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए स्थानीय प्रशासन भी सतर्क रहा। पुलिस बल की तैनाती की गई ताकि व्यवस्था बनी रहे और किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।

भक्ति और अपनत्व का अनोखा संगम

लखनऊ की ठंडी सुबह में मंदिरों का यह बदला हुआ रूप लोगों के लिए एक नई ऊर्जा लेकर आया। जहां एक ओर सर्द हवाएं शरीर को ठिठुरा रही थीं, वहीं दूसरी ओर मंदिरों के भीतर आस्था की गर्माहट लोगों के दिलों तक पहुंच रही थी।देवताओं को वस्त्र पहनाने की यह परंपरा यह संदेश भी देती है कि भक्ति केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं, बल्कि सेवा, संवेदना और समर्पण का नाम है। सर्दी के इस मौसम में लखनऊ के मंदिरों से उठती यह भक्ति की ऊष्मा आने वाले दिनों में भी बनाए रखेगी आध्यात्मिक ऊर्जा का यह सुंदर एहसास।

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