Gomti Corridor Construction Approval: गोमती नदी के तटवर्ती क्षेत्र में तेजी से विकसित हो रहे 57 किलोमीटर लंबे ग्रीन कॉरिडोर को महायोजना 2031 की नई सीमा रेखा के रूप में स्वीकार कर लिया गया है। इस संशोधन से कॉरिडोर से 200 मीटर के दायरे में निर्माण की अनुमति मिल जाएगी, जिससे नया शहरी विस्तार आकार लेगा।
Gomti Green Corridor : लखनऊ के विकास से जुड़ी एक बड़ी और दूरगामी प्रभाव वाली योजना को हरी झंडी मिल गई है। गोमती नदी के दोनों किनारों पर बनाए जा रहे 57 किलोमीटर लंबे ग्रीन कॉरिडोर को अब नदी की नई सीमा रेखा (रिवर लाइन) मानते हुए इसे महायोजना 2031 में औपचारिक रूप से शामिल कर लिया गया है। इस संशोधन के बाद कॉरिडोर से 200 मीटर के दायरे में आने वाले क्षेत्र में अब ऊँची-ऊँची इमारतें, वाणिज्यिक कॉम्प्लेक्स, आवासीय कॉलोनियां और जरूरी नागरिक सुविधाओं का विकास संभव हो सकेगा।
इस फैसले को शहर के विकास एवं नए शहरी विस्तार की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। खास बात यह है कि संशोधित योजना के बाद लगभग 10 किलोमीटर क्षेत्रफल की वह जमीन भी उपयोग में लाई जा सकेगी जो अब तक निर्माण की दृष्टि से प्रतिबंधित मानी जाती थी।
गोमती नदी के तटवर्ती क्षेत्र को अब तक संवेदनशील माना जाता था, इसलिए इसके दोनों तरफ 200 मीटर तक निर्माण पर प्रतिबंध था। ग्रीन कॉरिडोर के निर्माण के बाद यह इलाका प्राकृतिक सौंदर्य, पाथवे, साइकिल ट्रैक और मनोरंजन क्षेत्र के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है। इसे देखकर लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने प्रस्ताव भेजा था कि चूंकि ग्रीन कॉरिडोर अब नदी का सुरक्षित किनारा बन गया है, इसलिए इसे ही रिवर प्रोटेक्शन लाइन माना जाए।
महायोजना 2031 में संशोधन को मंजूरी मिलने के बाद अब प्रतिबंध क्षेत्र की पुनर्परिभाषित हो चुकी है। इसका प्रत्यक्ष असर यह होगा कि कॉरिडोर के बाहर के 200 मीटर क्षेत्र में निर्माण की अनुमति मिल सकेगी। शहरी विकास विशेषज्ञों के अनुसार यह बदलाव लखनऊ की रियल एस्टेट और योजनाबद्ध विकास को नई दिशा देगा।
अभी तक जिस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक थी, उसी जमीन पर अब योजनाबद्ध तरीके से विकास किया जा सकेगा। अनुमान है कि लगभग 10 किलोमीटर जमीन पर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य शुरू होगा। इसमें बहुमंजिला आवासीय इमारतें, सर्विस अपार्टमेंट्स, अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान, आईटी एवं ऑफिस कॉम्प्लेक्स, पार्किंग जोन और अन्य बेसिक सुविधाएं शामिल होंगी। LDA के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इस कदम से राजधानी को न सिर्फ नया शहरी विस्तार मिलेगा, बल्कि गोमती नदी के किनारे एक संतुलित और व्यवस्थित आधुनिक शहर बसाने का मार्ग साफ होगा।
महायोजना में संशोधन के बाद LDA ने सबसे पहला कदम उठाते हुए पुलिस मुख्यालय (PHQ) के पास स्थित लगभग 45 एकड़ जमीन को चिन्हित किया है। इस भूमि पर जल्द ही एक नई आवासीय योजना लाने की तैयारी की जा रही है। सूत्रों के अनुसार यह योजना लखनऊ के सबसे प्रमुख और प्रीमियम आवासीय क्षेत्रों में से एक बनने जा रही है।
ग्रीन कॉरिडोर के आसपास का इलाका पहले ही लोगों के आकर्षण का केंद्र बन चुका है। सुबह-शाम टहलने वालों, साइकिल प्रेमियों और पर्यटकों की आवाजाही यहाँ काफी बढ़ चुकी है। अब जब इस क्षेत्र में निर्माण की छूट मिल गई है, तो विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले वर्षों में यहाँ एक नया, सुव्यवस्थित और आधुनिक मिनी-सिटी तैयार हो जाएगी।
रियल एस्टेट सेक्टर भी इस परिवर्तन से उत्साहित है। कई डेवलपर पहले से ही LDA की आगामी नीतियों का इंतजार कर रहे थे। अब उम्मीद है कि यहाँ निवेश में भी तेजी आएगी।
महायोजना 2031 मूल रूप से 2016 में तैयार की गई थी। तब गोमती नदी के किनारे सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए एक सख्त रिवर लाइन निर्धारित की गई थी। लेकिन बीते कुछ वर्षों में नदी के किनारे बना ग्रीन कॉरिडोर एक मजबूत संरचनात्मक सुरक्षा कवच के रूप में विकसित हुआ है।
इस फैसले से लखनऊ की शहरी अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा। अधिक निर्माण गतिविधियां बढ़ने से--
इसके साथ ही, शहर के केंद्र पर बढ़ते दबाव को भी कम किया जा सकेगा, क्योंकि आबादी और व्यापारिक गतिविधियां अब नदी किनारे विकसित होने वाले इस नए क्षेत्र में स्थानांतरित होंगी।