लखनऊ

Makar Sankranti 2025: यूपी में 14 जनवरी को सार्वजनिक अवकाश घोषित, जानिए स्नान-दान का शुभ मुहूर्त और लखनवी खिचड़ी का स्वाद

Makar Sankranti 2025: यूपी सरकार ने मकर संक्रांति को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया, जानिए धार्मिक महत्व, स्नान-दान का मुहूर्त और पारंपरिक खिचड़ी की खासियत।

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Jan 12, 2025
UP Public Holiday

Makar Sankranti 2025: उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेशवासियों को मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर बड़ा तोहफा दिया है। 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। इससे पहले यह निर्बंधित अवकाश की सूची में था, लेकिन अब इसे सार्वजनिक अवकाश में बदल दिया गया है। प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के विशेष सचिव जुहैर बिन सगीर ने इससे संबंधित आदेश जारी किए हैं।

स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

जाने-माने ज्योतिषाचार्य पंडित प्रशांत द्विवेदी के अनुसार, मकर संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी सुबह 6:58 बजे से शुरू होकर 15 जनवरी सुबह 6:58 बजे तक रहेगा। इस अवधि को महापुण्य काल माना जाता है, जिसमें स्नान, दान और सूर्य को अर्घ्य देने से विशेष फल प्राप्त होता है।

उन्होंने बताया कि इस वर्ष का मकर संक्रांति मुहूर्त अत्यंत शुभ है। इस दिन तिल-गुड़ का दान और सूर्य देव को जल अर्पित करना विशेष फलदायी होगा। धार्मिक मान्यता है कि इस पुण्य काल में किए गए कार्यों से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

लखनवी खिचड़ी का स्वाद

मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने और परोसने की परंपरा न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक संगठनों और मंदिरों में खिचड़ी भोज का आयोजन किया जाएगा। लखनऊ में दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर और अमीनाबाद के ब्रह्मेश्वर शनि मंदिर समेत कई अन्य मंदिरों में खिचड़ी का वितरण होगा।

लखनऊ के घरों में पारंपरिक खिचड़ी को खास बनाने के लिए इसमें हरी सब्जियां, मसाले और तिल का तड़का लगाया जाता है। हजरतगंज के शेफ अमित शुक्ला ने बताया कि लखनवी खिचड़ी में मूंग दाल और चावल के साथ गाजर, मटर और बथुआ का उपयोग किया जाता है। इसे तिल और घी के साथ परोसा जाता है, जिससे इसका स्वाद दोगुना हो जाता है।

मकर संक्रांति का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। इसे भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे उत्तरायण, पोंगल और लोहड़ी। इस दिन गंगा स्नान, तिल-गुड़ का दान और खिचड़ी भोज का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए पुण्य कार्य हजार गुना अधिक फल देते हैं।

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