लखनऊ

IAS Transfer Order: 24 घंटे में पलटा IAS अफसरों का तबादला, ब्यूरोक्रेसी में मचा हड़कंप

UP Bureaucratic Shake-Up: उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। IAS अफसरों के तबादले को लेकर 24 घंटे में ही सरकार ने अपना आदेश पलट दिया। IAS डॉ. महेंद्र कुमार सिंह की रामपुर में ज्वाइनिंग के 12 घंटे बाद ही उन्हें महाराजगंज भेज दिया गया, जिससे ब्यूरोक्रेसी में चर्चाओं का दौर तेज है।

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Oct 30, 2025
IAS अफसरों के ट्रांसफर पर नया बवंडर, सरकार ने बदला अपना ही आदेश (फोटो सोर्स : Ritesh Singh )

IAS Transfers Within 24 Hours: उत्तर प्रदेश की नौकरशाही एक बार फिर सुर्खियों में है। प्रदेश सरकार ने मात्र 24 घंटे में अपने ही तबादले के आदेश को पलट दिया, जिससे ब्यूरोक्रेसी के गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म हो गया है। मामला दो आईएएस अफसरों में डॉ. महेंद्र कुमार सिंह और गुलाब चंद से जुड़ा है, जिनके पदस्थापन में हुए अचानक फेरबदल ने सवाल खड़े कर दिए हैं।

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12 घंटे में बदल गई पोस्टिंग

सूत्रों के मुताबिक, सोमवार रात जारी आदेश में IAS डॉ. महेंद्र कुमार सिंह को रामपुर के मुख्य विकास अधिकारी (CDO) के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने मंगलवार सुबह रामपुर में ज्वाइनिंग भी कर ली, लेकिन मात्र 12 घंटे बाद ही उनका तबादला रद्द कर दिया गया। नए आदेश में उन्हें महाराजगंज का CDO बना दिया गया, जबकि IAS गुलाब चंद, जिन्हें पहले महाराजगंज भेजा गया था, अब रामपुर के नए CDO होंगे।

24 घंटे में पलटा आदेश

यह पूरा घटनाक्रम केवल 24 घंटे के भीतर हुआ। नियुक्ति विभाग द्वारा जारी पहले आदेश में डॉ. महेंद्र कुमार सिंह को रामपुर भेजा गया था, लेकिन मंगलवार शाम को प्रमुख सचिव (नियुक्ति) एम. देवराज ने अपने ही हस्ताक्षरित आदेश को वापस लेते हुए नया ट्रांसफर आदेश जारी कर दिया। इस तेज़ी से हुए बदलाव ने न केवल विभागीय अधिकारियों को चौंका दिया, बल्कि IAS बिरादरी में भी हैरानी पैदा कर दी है।

ब्यूरोक्रेसी में उठे सवाल

सरकारी हलकों में चर्चा है कि यह फैसला किसी “विशेष सिफारिश” और “राजनीतिक दबाव” के बाद लिया गया। अफसरों के तबादलों में पहले भी हस्तक्षेप की बातें होती रही हैं, लेकिन इतने कम समय में आदेश पलट जाना असामान्य माना जा रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि ऐसे घटनाक्रम नौकरशाही की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हैं। एक अफसर को ज्वाइनिंग के तुरंत बाद हटाना मनोबल पर असर डालता है।

आदेश का ब्यौरा

पहला आदेश (सोमवार):

  • IAS डॉ. महेंद्र कुमार सिंह को CDO रामपुर बनाया गया।
  • IAS गुलाब चंद को CDO महाराजगंज नियुक्त किया गया।

दूसरा आदेश (मंगलवार):

  • डॉ. महेंद्र कुमार सिंह को अब CDO महाराजगंज भेजा गया।
  • गुलाब चंद को CDO रामपुर की नई जिम्मेदारी दी गई।

इस बदलाव के साथ ही पहला आदेश स्वतः निरस्त माना गया।

नियुक्ति विभाग की सफाई

हालांकि, नियुक्ति विभाग के सूत्रों का कहना है कि आदेश में “प्रशासनिक कारणों” से संशोधन किया गया। प्रमुख सचिव (नियुक्ति) एम. देवराज ने कहा कि कुछ स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए पदस्थापन में बदलाव आवश्यक समझा गया। यह सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है। लेकिन ब्यूरोक्रेसी का एक बड़ा तबका इस तर्क को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। कई अफसरों का मानना है कि “सिफारिशी ताकत” ने फिर एक बार सिस्टम को प्रभावित किया है।

रामपुर और महाराजगंज के समीकरण

जानकारों के मुताबिक, रामपुर और महाराजगंज दोनों ही जिले प्रशासनिक दृष्टि से संवेदनशील माने जाते हैं। रामपुर में हाल ही में कानून-व्यवस्था और विकास परियोजनाओं से जुड़े कई मुद्दे उठे हैं, वहीं महाराजगंज सीमावर्ती जिला होने के कारण राजनीतिक रूप से भी अहम है। ऐसे में CDO जैसे प्रमुख विकास पद पर नियुक्ति को लेकर राजनीतिक रुचि स्वाभाविक मानी जा रही है।

 IAS बिरादरी में चर्चा का विषय

IAS एसोसिएशन के कई सदस्यों ने ऑफ रिकॉर्ड कहा कि इस तरह की घटनाएं अफसरों की निष्पक्षता और मनोबल को प्रभावित करती हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक IAS अधिकारी के लिए ज्वाइनिंग के बाद तुरंत तबादला अपमानजनक स्थिति होती है। इससे प्रशासनिक स्थिरता पर असर पड़ता है। कई अधिकारियों ने यह भी कहा कि इस तरह के कदमों से “प्रशासनिक पारदर्शिता” और “नीति आधारित तबादलों” पर भरोसा कमजोर होता है।

सरकार की नीति पर उठ रहे सवाल

प्रदेश सरकार ने कुछ महीने पहले दावा किया था कि अब से सभी तबादले ट्रांसफर पॉलिसी 2024 के तहत होंगे और किसी भी अधिकारी को बार-बार इधर-उधर नहीं किया जाएगा। लेकिन मात्र एक दिन में आदेश पलटने से उस नीति की साख पर सवाल उठ रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि “सिफारिश” और “प्रभाव” अब भी फैसलों की धुरी बने हुए हैं। मनोज शर्मा ने बताया कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब यूपी में तबादले के आदेश इतने कम समय में बदले गए हों। बीते वर्षों में भी कई अधिकारी जॉइनिंग के 24 से 48 घंटे के भीतर ही ट्रांसफर कर दिए गए थे। कुछ मामलों में तो “स्थानीय असहमति” और “नेतृत्व की पसंद” को वजह बताया गया था।

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