Yogi Adityanath:उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ योगी सरकार का अभियान अब नए मोड़ पर है। गैंगस्टर एक्ट के बाद अब सरकार 'एसेट एक्ट' के तहत उन माफियाओं की बची हुई सम्पत्तियों पर भी कार्रवाई की तैयारी कर रही है, जिन पर पहले कार्रवाई अधूरी रह गई थी। अतीक अहमद से मुख्तार अंसारी तक फाइलें फिर खुल रही हैं।
Yogi Action Plan: उत्तर प्रदेश में अपराधियों और माफियाओं पर योगी आदित्यनाथ सरकार का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में अपराध और अराजकता पर नकेल कसने की नीति के तहत अब राज्य पुलिस ने गैंगस्टरों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद और मुन्ना बजरंगी जैसे कुख्यात अपराधियों पर कार्रवाई के बाद अब यूपी पुलिस की नजर उन गैंगस्टरों पर है जो अब तक कानूनी शिकंजे से बचते रहे थे।
सूत्रों के अनुसार, यूपी पुलिस ने राज्यभर के 100 से अधिक सक्रिय गैंगस्टरों की एक नई सूची तैयार की है, जिनकी सम्पत्तियों की जांच और कुर्की की कार्रवाई शुरू की जा रही है। इनमें वे अपराधी भी शामिल हैं जिनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट तो लागू किया गया था, लेकिन किसी कारणवश उनकी संपत्तियों की जब्ती की प्रक्रिया अधूरी रह गई थी। इस बार पुलिस ने इंटेलिजेंस एजेंसियों, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और जिला स्तरीय निगरानी इकाइयों की मदद से एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कराई है। हर जिले में अपराध शाखा और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम को निर्देश दिए गए हैं कि वे ऐसे गैंगस्टरों की चल-अचल संपत्तियों का ब्योरा तत्काल प्रस्तुत करें।
गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में योगी सरकार के कार्यकाल में माफिया और उनके नेटवर्क के खिलाफ अभूतपूर्व कार्रवाई हुई है। मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद और मुन्ना बजरंगी जैसे अपराधियों के गिरोहों की संपत्तियां जब्त की गईं, कई अवैध इमारतें ध्वस्त की गई और आर्थिक रूप से इन नेटवर्कों को कमजोर किया गया। पुलिस के अनुसार, अब कार्रवाई का फोकस उन गैंगस्टरों पर है जो इन बड़े गिरोहों से जुड़े तो थे लेकिन मुख्य कार्रवाई के दौरान बच निकले थे। जिलेवार इन गैंगस्टरों का पूरा ब्यौरा तैयार कर शासन को भेजा जा चुका है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों के बाद बीते एक वर्ष में गैंगस्टरों की 144 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। अब गृह विभाग ने इस अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत की है। इसमें न केवल अपराधियों की संपत्ति बल्कि उनके परिजनों, सहयोगियों और फ्रंट कंपनियों की संपत्तियां भी जांच के दायरे में लाई जा रही हैं।
इस साल यूपी पुलिस ने कई बड़े गैंगस्टरों की संपत्तियों पर कुर्की की कार्रवाई की है -
मथुरा के गैंगस्टर मुकेश तोमर की ₹97 लाख की संपत्ति जब्त की गई। गाजियाबाद के गैंगस्टर दया शंकर उर्फ डायना की ₹1 करोड़ से अधिक की संपत्ति कुर्क की गई। राजीव चौहान गिरोह और उसके परिजनों की लगभग ₹5 करोड़ की संपत्ति पर कार्रवाई हुई। नाजिया अख्तर नामक गैंगस्टर की लाखों रुपये की संपत्ति भी कुर्क की गई। इसके अलावा इनके लिए काम करने वाले कई गुर्गों पर भी गैंगस्टर एक्ट लगाया गया है। अब लखनऊ, वाराणसी, गाजीपुर, आजमगढ़, कानपुर, कन्नौज समेत अन्य जिलों में भी ऐसी कार्रवाई जल्द देखने को मिलेगी।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी अब इस अभियान का अहम हिस्सा बन गया है। ईडी उन कंपनियों और उनके निदेशकों की संपत्तियों की तलाश कर रही है जिन्होंने जनता के अरबों रुपये निवेश के नाम पर हड़प लिए और बाद में फरार हो गए। इस सूची में रोहतास ग्रुप के रस्तोगी ब्रदर्स, कल्पतरु, शाइन सिटी, और एलजेके कंपनी जैसे नाम शामिल हैं। कुछ सप्ताह पहले ही एलजेके कंपनी द्वारा बेची गई लगभग ₹300 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई थी। ईडी अब इन कंपनियों के निदेशकों के खिलाफ धनशोधन (Money Laundering) की जांच कर रही है। इसके अलावा यूपी पुलिस भी इनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत संपत्ति जब्ती की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, अब केवल मुख्य अपराधियों पर ही नहीं बल्कि उनके करीबियों और सहयोगियों पर भी कार्रवाई की जाएगी। ऐसे कई लोग, जो माफिया नेटवर्क के लिए काम करते हैं या उनकी अवैध संपत्तियों के नाम पर निवेश करते हैं, अब जांच के घेरे में हैं। इस तरह की कार्रवाई से अपराधियों का आर्थिक साम्राज्य तोड़ने में मदद मिलेगी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि सरकार की मंशा स्पष्ट है, जो अपराध करेगा, वह कहीं भी सुरक्षित नहीं रहेगा। गैंगस्टर एक्ट केवल नाम के लिए नहीं बल्कि प्रभावी तरीके से लागू किया जाएगा।”
वर्ष 2020 में पुलिस ने एक ही दिन में 40 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की थी, जिसमें मुख्तार गिरोह समेत कई अन्य गैंगस्टरों के ठिकानों पर कार्रवाई हुई थी। कई अवैध हथियार, कारतूस और दो गैंगस्टर गिरफ्तार किए गए थे। अब वैसी ही “राज्यव्यापी कार्रवाई” की तैयारी फिर से की जा रही है। शासन स्तर पर सभी जिलाधिकारियों और पुलिस कप्तानों को निर्देश दिए गए हैं कि गैंगस्टर एक्ट में दर्ज मामलों की समीक्षा करें और लंबित संपत्ति कुर्की के मामलों को तेजी से निपटाएं।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अपराधियों पर सख्त कार्रवाई तभी प्रभावी होती है जब उनके आर्थिक संसाधन खत्म किए जाएं। पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा कि योगी सरकार की नीति ‘अपराध खत्म करने के साथ अपराधी को आर्थिक रूप से तोड़ने’ की दिशा में काम कर रही है। यही कारण है कि माफिया और गैंगस्टरों के नेटवर्क कमजोर पड़ रहे हैं।”