पांच साल से किसानों के पंजीयन होते हैं और खरीद के समय फेल कर दिए जाते हैं सेंपल, इस साल भी 4883 किसानों में से एक भी पास नहीं हुआ सेंपल
मुरैना. समर्थन मूल्य पर बाजरा की खरीद 24 नवंबर से शुरू हो चुकी है लेकिन अभी तक एक किसान का भी बाजरा बिक्री नहीं हो सका है। जिले में इस साल 4883 किसानों ने पंजीयन कराया है। लेकिन एक भी किसान का सेंपल पास नहीं हो सका। कृषि उपज मंडी में अक्टूबर माह से ही बाजरा की आवक शुरू हो चुकी है लेकिन समर्थन मूल्य पर खरीद अभी तक शुरू नहीं हो सकी है।
कृषि उपज मंडी में 6 अक्टूबर से बाजरा की आवक शुरू हो चुकी है। यहां रोजाना औसतन 200 क्विंटल के हिसाब से अभी तक 15 हजार क्विंटल से अधिक बाजरा खरीदा जा चुका है लेकिन समर्थन मूल्य पर खरीद के नाम पर केन्द्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। वहां बैनर पोस्टर तो सूचनात्मक लगा दिए हैं लेकिन वहां कर्मचारी तैनात नहीं हैं। वह इसलिए कि किसानों के बाजरा के सेंपल पास नहीं हुए हैं, इसलिए केन्द्र खोले भी नहीं हैं। किसान फसल से पूर्व बीज, खाद व पानी के नाम पर इधर उधर से इसी आधार पर कर्ज लेते हैं कि फसल आने पर सामने वाले का पैसा चुकता कर देंगे लेकिन समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू नहीं होने पर ऐसे किसान चिंतित हैं। वहीं सहालग के चलते अधिकांश किसान मंडी में बाजरा बेच चुके हैं।
पांच साल से सिर्फ पंजीयन होते हैं, नहीं बिका बाजरा
नागरिक आपूर्ति निगम व खाद्य विभाग के संयुक्त रूप से हर साल बाजरा के पंजीयन कराने के बाद खरीद केन्द्र स्थापित करता है लेकिन बाजरा की क्वालिटी खराब बताकर सेंपल फेल कर दिया जाता है और बाजरा की बिक्री नहीं हो पा रही है। अंतिम बार वर्ष 2020 में बाजरा बिका है, उसके बाद समर्थन मूल्य पर बाजरा की बिक्री नहीं हो सकी है।
खरीद केन्द्र पर सिर्फ पोस्टर लगाए, कर्मचारी गायब
प्रशासन ने खरीद केन्द्र के नाम पर सिर्फ पोस्टर लगा दिए हैं, वहां कर्मचारी तैनात नहंी किए हैं। साथ ही पोस्टर पर यह अंकित नहीं किया है कि यह केन्द्र कौन सी सोसायटी का है और यहां किस कर्मचारी की ड्यूटी लगाई गई है जबकि नियमानुसार पोस्टर पर सोसायटी व स्टाफ का नाम अंकित होना चाहिए।
कहां कितने किसानों के पंजीयन
तहसील पंजीयन कुल रकवा
जौरा 1392 7279.50
अंबाह 1088 4075.38
मुरैना 842 4510.95
पोरसा 716 1976.22
बानमोर 310 1963.32
कैलारस 412 1248.46
सबलगढ़ 82 302.55
मुरैना शहर 41 159.98
इस बार मौसम की मार के चलते पहले ही बाजरा कम हुआ था फिर भी हमने बाजरा की फसल का पंजीयन कराया था। लेकिन सेंपल फेल कर दिया, इसलिए मजबूरन मंडी में ही बेचना पड़ेगा।
शासन ने जो सेंपल तैयार किया है, वह तो बीज की थैलियों में भी नहीं मिलता फिर हमारे यहां तो बारिश होने से बाजरा का रंग थोड़ा काला पड़ गया है, इसलिए सेंपल फेल कर दिया।
बाजरा की मानक क्वालिटी एफएक्यू निर्धारित की गई थी, वह क्वालिटी किसान के बाजरा की नहीं हैं। बारिश के चलते दाना हल्का काला हो गया, सेंपल फेल कर दिए इसलिए समर्थन मूल्य पर बाजरा की खरीद नहीं हो पा रही है।