Pune Elections: मुंबई (BMC) में कांग्रेस ने शिवसेना (UBT) और मनसे के साथ गठबंधन से साफ इनकार कर दिया था। लेकिन पुणे में भाजपा गठबंधन की ताकत को देखते हुए रुख बदल लिया है।
महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में राजनीतिक समीकरण हर शहर के साथ बदलते नजर आ रहे हैं। सबसे चौंकाने वाला बदलाव पुणे महानगरपालिका (PMC) चुनाव में देखने को मिल रहा है, जहां वरिष्ठ नेता शरद पवार और अजित पवार के नेतृत्व वाली दोनों एनसीपी गुट एक साथ चुनाव लड़ेंगे। इसके बाद अब कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। इन दोनों गठबंधनों से भाजपा खेमे में हलचल तेज हो गई है।
कांग्रेस और ठाकरे भाईयों का गठबंधन इसलिए चर्चा में है क्योंकि मुंबई महानगरपालिका (BMC) के लिए कांग्रेस का रुख बिल्कुल अलग रहा है। मुंबई में कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) और राज ठाकरे की मनसे के साथ किसी भी तरह के गठबंधन से साफ इनकार कर दिया था।
कांग्रेस के कई नेताओं का मानना था कि शिवसेना (UBT) के साथ गठबंधन से पार्टी को नुकसान हो रहा है। वहीं, मनसे की विचारधारा को लेकर भी कांग्रेस ने मुंबई में दूरी बनाए रखी। लेकिन, पुणे में समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं। भाजपा को रोकने के लिए एनसीपी (शरद पवार) की तरह ही कांग्रेस ने भी आपसी मतभेद भुला दिए।
कांग्रेस नेता सतेज पाटिल और शिवसेना (UBT) नेता सचिन अहीर ने संयुक्त रूप से सोमवार को गठबंधन का ऐलान किया। 165 सदस्यीय पुणे नगर निगम के लिए कांग्रेस 60 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। जबकि शिवसेना (UBT) 45 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीँ, मनसे (MNS) को 21 सीटों का प्रस्ताव दिया गया है। जबकि मनसे ने शुरू में ज्यादा सीटों की मांग की थी।
एक नेता ने बताया कि बाकी सीटों के लिए बातचीत अभी भी जारी है, क्योंकि समान विचारधारा वाली पार्टियों को साथ लाने की कोशिश चल रही है।
यह गठबंधन उस वक्त हुआ है जब महज एक दिन पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) ने महाविकास अघाड़ी (MVA) का साथ छोड़कर अजित पवार की एनसीपी के साथ गठबंधन कर लिया। पुणे में दोनों एनसीपी के एक होने के बाद कांग्रेस और शिवसेना (UBT) के लिए अस्तित्व की लड़ाई खड़ी हो गई थी, जिसके जवाब में अब मनसे को भी साथ लिया गया है। प्रकाश अंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) को भी इस गठबंधन में शामिल करने के लिए कांग्रेस बातचीत कर रही है।
पुणे में कांग्रेस की एंट्री से 'ठाकरे भाईयों' की ताकत काफी बढ़ गई है। जानकारों का कहना है कि अगर यह प्रयोग पुणे में सफल रहता है, तो आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोर्चा देखने को मिल सकता हैं।