मूण्डवा में मिनी फूड पार्क विकसित करने का सपना चार साल बाद भी अधूरा, नागौर जिले की 80 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर, कई किसानों ने नवाचार करके उन्नत खेती भी की, लेकिन उपयुक्त बाजार नहीं होने से उन्हें नहीं मिल रहे पूरे भाव
नागौर. जिले के मूण्डवा उपखंड मुख्यालय पर मिनी फूड पार्क विकसित करने की घोषणा चार साल बाद भी मूर्त रूप नहीं ले पाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि मिनी फूड पार्क विकसित हो जाए तो किसानों को उनकी उपज की सही कीमत मिलेगी और उनके उत्पाद बाजार में आसानी से उपलब्ध हो पाएंगे।
गौरतलब है कि जिले के किसानों एवं व्यापारियों की मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने वर्ष 2021 के बजट में मिनी फूड पार्क की घोषणा की थी, जिसके बाद स्थानीय अधिकारियों ने 100 बीघा जमीन आवंटन की प्रक्रिया को पूर्ण करने के बाद करीब 1.06 करोड़ रुपए खर्च कर मुख्य द्वार, चार दीवारी, अप्रोच रोड व चेक पोस्ट आदि का निर्माण कार्य पूरा करवा दिया। अब जमीन आवंटन को लेकर राज्य स्तर पर पॉलिसी बनाने का काम चल रहा है, जिसमें यह तय किया जाएगा कि भूखंड का आवंटन लॉटरी से करना है या ऑक्सन से। अधिकारियों ने बताया कि मिनी फूड पार्क को लेकर पूरे प्रदेश के लिए पॉलिसी तैयार की जा रही है, जो अंतिम चरण में है। यानी अब जल्द ही मिनी फूड पार्क का सपना साकार होता नजर आ रहा है। हालांकि नागौर के किसानों व व्यापारियों को पिछले 11 साल से मिनी एग्रो फूड पार्क विकसित करने का सपना दिखाया जा रहा है।
40 भूखंड पर लगेंगे फूड प्रोसेसिंग के उद्योग
मंडी प्रशासन की ओर से तैयार करवाई गई डीपीआर के अनुसार फूड पार्क की 100 बीघा जमीन पर कुल 40 भूखंड आवंटन किए जाएंगे, इसमें दो वेयर हाउस बनेंगे, जिनकी क्षमता एक लाख बोरी की होगी। इसी प्रकार 50 हजार बोरी की क्षमता का एक कोल्ड स्टोरेज भी बनेगा। इसके साथ दाल प्रोसेसिंग यूनिट, जीरा व मसाला प्रोसेसिंग यूनिट, डेयरी प्रोसेसिंग, ऑयल मिल आदि यूनिट लगेंगी।
फूड पार्क में ये सुविधाएं होती हैं
फूड पार्क में संग्रहण केंद्र, प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र, केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र, कोल्ड चेन, उद्यमियों के लिए खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां, थोक-पैकेजिंग, फ्रोजन स्टोरेज, डीप फ्रीज, ड्राई वेयरहाउस, क्यूसी लेबोरेटरी आदि सुविधाएं होती हैं।
यह होता है फायदा
- फूड पार्क की मदद से किसानों की आय बढ़ती है।
- खराब होने वाली चीज़ों का प्रसंस्करण बढ़ता है और बर्बादी कम होती है।
- उद्यमियों को उभरती और पर्यावरण के अनुकूल खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी मिलती हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में रोजग़ार के अवसर बढ़ते हैं।
नागौर के लिए महत्वपूर्ण होगा फूड पार्क
नागौर जिले की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी कृषि कार्य पर निर्भर है, ऐसे में यहां एग्रो फूड पार्क की लम्बे समय से मांग की जा रही है। किसानों व उद्यमियों की मांग पर जिला प्रशासन व मंडी प्रशासन के अधिकारियों ने इसे गंभीरता से लेते हुए मूण्डवा में कृषि मंडी के पास खाली पड़ी सरकारी जमीन पर मिनी फूड पार्क बनाने का प्रस्ताव तैयार किया। उधर, सरकार ने भी 2021 के बजट में घोषणा कर दी। इसके बाद सरकार ने मिनी फूड पार्क के लिए मूण्डवा में 100 बीघा जमीन आवंटित की। नागौर जिला मूंग, जीरा, पान मैथी, ईसबगोल सहित कई फसलों के उत्पादन में विशेष स्थान रखता है। यदि यहां खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित होगी तो उनका फायदा किसानों के साथ व्यापारियों को भी होगा।
भूखंड आवंटन की पॉलिसी पर काम चल रहा है
नागौर जिले के मूण्डवा में मिनी फूड पार्क में भूखंड आवंटन को लेकर स्टेट लेवल पर पॉलिसी तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। जमीन आवंटन कैसे होगा, किस आधार पर होगा, इसकी प्रक्रिया और मापदंड तय करने का काम अंतिम चरण में है।
- राजन विशाल, शासन सचिव, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग, राजस्थान सरकार