- अस्पताल में फायर से ‘फाइटिंग’ करने का ‘सिस्टम’ पिछले दो साल से फेल, जिम्मेदार बने लापरवाह, कई जगह पाइप हुए गायब तो कई जगह वॉल्व ही तोड़ ले गए चोर, निजी अस्पताल को बिना फायर फाइटिंग सिस्टम के नहीं मिलती एनओसी, सरकारी में नियमों की अनदेखी
नागौर. जिला मुख्यालय के पंडित जेएलएन राजकीय जिला अस्पताल में आग लगने से बड़ा हादसा हो सकता है। इसकी वजह बनेगा पिछले करीब दो साल से नकारा पड़ा फायर फाइटिंग सिस्टम। अस्पताल भवन में लाखों रुपए से लगाया गया सेंट्रल फायर फाइटिंग सिस्टम पिछले काफी समय से खराब पड़ा है। इसके बावजूद जिम्मेदार लापरवाह बने हुए हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी का आलम यह है कि फायर फाइटिंग सिस्टम की वितरण प्रणाली में लगे पाइप, नोजल, वाल्व और सिलेंडर आदि कई जगह से गायब हो चुके हैं। अस्पताल में डिटेक्शन सिस्टम भी नहीं लगा है, जबकि फिक्स्ड फायर फाइटिंग सिस्टम में डिटेक्शन सिस्टम रक्षा की पहली आवश्यकता होती है। इसमें हीट सेंसर, स्मोक डिटेक्टर और अलार्म आदि शामिल हैं, जो आग या धुएं की उपस्थिति का पता लगाकर सायरन बजाते हैं।
निजी को नहीं मिलती एनओसी, जुर्माना अलग
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में आग लगने की घटनाएं आम है। कई बार शॉर्ट सर्किट से वार्ड में आग लग जाती है, जिससे मरीजों व बच्चों की मौत तक हो जाती है। निजी अस्पतालों को लाइसेंस जारी करने से पहले पूरे अस्पताल में फायर फाइटिंग सिस्टम, स्मोक डिटेक्टर, फायर बॉल आदि लगवाना अनिवार्य है, इसके बिना एनओसी नहीं मिलती। वहीं दूसरी तरफ जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पताल में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। ऐसा लग रहा है जिम्मेदारों की नींद किसी हादसे के बाद उड़ेगी।
पाइप की जगह पड़ा है कचरा
जेएलएन अस्पताल में लाखों रुपए की लागत से लगाए गए सेंट्रल फायर फाइटिंग सिस्टम में लगे रबड़ व कपड़े के पाइप गायब हो चुके हैं। पाइप रखने के बॉक्स में पाइप की जगह खाली बोतलें व कचरा भरा हुआ है। कई जगह पानी खोलने के लिए लगाए गए वाल्व और अन्य सामान चोरी हो गया है।
छह महीने में नहीं सुधार पाए सिस्टम
करीब छह माह पूर्व जेएलएन अस्पताल के पीएमओ डॉ. आरके अग्रवाल ने कहा था कि जेएलएन अस्पताल में फायर फाइटिंग सिस्टम को ठीक कराने की प्रक्रिया चल रही है। यह हमारी पहली प्राथमिकता है, इसलिए जल्द ही फायर फाइटिंग सिस्टम ठीक करवा देंगे, लेकिन छह महीने से अधिक समय बीतने के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ है।