जिम्मेदारों ने भी मूंदी आंखे, घायलों व मरीजों के जान को जोखिम में डालकर सामान्य वाहनों की तरह दौड़ रही निजी एम्बुलेंस, न जीपीएस लगाए और न ही ई-डार पर की मैपिंग, कलक्टर के आदेशों की अवहेलना, सरकारी एम्बुलेंस में भी जीपीएस लगाने के निर्देश
नागौर. सर्वोच्च न्यायालय सडक़ सुरक्षा समिति (एससीसीओआरएस) के स्पष्ट निर्देश हैं कि सभी प्राइवेट व राजकीय एम्बुलेंस वाहनों का जीवन रक्षक उपकरणों से सुसज्जित होकर जीपीएस से मैपिंग होना अतिआवश्यक है। इसके बावजूद जिले में सैकड़ों वाहन ऐसे दौड़ रहे हैं, जिन पर एम्बुलेंस लिखा हुआ है और नीले की रंग की बत्ती व एम्बुलेंस की आवाज वाला सायरन लगा रखा है, लेकिन घायल या मरीज की जान बचाने के लिए जीवन रक्षक उपकरणों के नाम पर कुछ नहीं है। जिला मुख्यालय के जेएलएन अस्पताल सहित एमसीएच विंग में खड़े रहने वाली अधिकतर निजी एम्बुलेंसों में जीवन रक्षक उपकरण नहीं हैंं। जबकि जिला सड़क सुरक्षा समिति नागौर की बैठक में जिला कलक्टर कई बार इस संबंध में सीएमएचओ व डीटीओ को निर्देशित कर चुके हैं। साथ ही समिति के सदस्य सचिव के रूप में पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता कई बार पत्र भी लिख चुके हैं। लेकिन न तो निजी एम्बुलेंसों में जीवन रक्षक उपकरणों (बेसिक लाइफ सपोर्ट) की सुनिश्चितता हो पा रही है और न ही उनमें जीपीएस लग रहे हैं।
रिपोजिशनिंग भी नहीं हो पाई
दरअसल, जिला कलक्टर ने जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में गत दिनों निर्देश दिए कि जिले के उन स्थानों पर जहां अत्यधिक दुर्घटनाएं हो रही हैं, वहां एम्बुलेंसों की रिपोजिशनिंग ई-डार (इलेक्ट्रॉनिक डिटेल्ड एक्सीडेंट रिपोर्ट) के डेटा अनुसार किए जाए, लेकिन इसकी भी पालना नहीं हो पाई।
ताक पर रखे जा रहे मानक
राजस्थान सरकार के परिवहन विभाग (सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ) के तत्कालीन शासन सचिव एवं परिवहन आयुक्त रवि जैन ने प्रदेश केसभी प्रादेशिक एवं जिला परिवहन अधिकारियों को निर्देश जारी किए कि निजी एम्बुलेंसों के एकीकरण के संबंध में परिवहन विभाग को एआईएस-125 के मानकों के अनुसार एम्बुलेंसों का पंजीकरण किया जाए। साथ ही चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से आवश्यक एनओसी प्राप्त करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने एम्बुलेंसों में जीपीएस आवश्यक रूप से लगाने के निर्देश दिए, जबकि इन आदेशों की पालना आज तक नहीं हो पाई।
टाइप-सी एम्बुलेंस में होने चाहिए बेसिक लाइफ सपोर्ट उपकरण
परिवहन विभाग के निर्देशानुसार टाइप सी एम्बुलेंस का पंजीकरण करते समय वाहन में जीवन रक्षक उपकरणों में एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट (एएलएस) उपकरण शामिल होते हैं, जैसे कि वेंटिलेटर, डिफिब्रिलेटर, ईसीजी मॉनिटर, पल्स ऑक्सीमीटर, आईवी पंप, ऑक्सीजन सिलेंडर और मास्क, सक्शन यूनिट, एंडोट्रैचियल ट्यूब और अन्य आवश्यक चिकित्सा उपकरण होने आवश्यक हैं। इसके अतिरिक्त इसमें बुनियादी जीवन रक्षक उपकरण जैसे कि स्ट्रेचर, प्राथमिक चिकित्सा किट, सर्वाइकल कॉलर, स्पलिंट्स, ब्लड प्रेशर मॉनिटर, स्टेथोस्कोप, थर्मामीटर और कंबल भी होने पर ही पंजीकरण किया जाना चाहिए।
स्टेट लेवल से होगी मैपिंग
एम्बुलेंस की मैपिंग स्टेट लेवल पर होगी, जो नेशनल हैल्थ मिशन वाले करेंगे। इसके लिए हमारे विभाग ने एनएचएम को एक पत्र भी लिखा है, जिसमें बताया कि सेंट्रलाइज रूप से मैपिंग करवाएंगे तो पूरे स्टेट की सभी एम्बुलेंस की एक साथ हो जाएगी। यह जिलावार नहीं होगी। इसकी जानकारी मैं पीडब्ल्यूडी एसई को दे चुका हूं। जहां तक किसी वाहन को एम्बुलेंस के रूप में पंजीकृत करने की बात है तो कुछ कम्पनियों को एम्बुलेंस बनाने की परमिशन मिली हुई है, हमारे पास एम्बुलेंस पंजीकरण के लिए जब कोई वाहन आता है तो हम निर्धारित मापदंड चैक करने के बाद ही पंजीकरण करते हैं। यदि कोई बिना पंजीकरण एम्बुलेंस में चला रहा है तो उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। पूर्व में भी तीन वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी।
- अवधेश चौधरी, जिला परिवहन अधिकारी, नागौर
री-लोकेशन हम नहीं कर सकते
जिला कलक्टर ने एम्बुलेंसों की री-लोकेशन (रिपोजिशनिंग) के निर्देश दिए थे, लेकिन यह हम नहीं कर सकते। लोकेशन जयपुर से ही तय हो रखी है, हम चैंज करने वाले कौन होते हैं। रही बात, जीपीएस की तो 108 की सभी एम्बुलेंसों में जीपीएस लगे हुए हैं, बाकी बेस एम्बुलेंस पांच-छह ही है, उनका मैं पता कर लूूंगा।
- डॉ. जेके सैनी, सीएमएचओ, नागौर