Indian Railways: यह सर्वे अप्रैल और मई 2025 के बीच किया गया है। इसमें पाया गया कि सिस्टम को सुव्यवस्थित करने के प्रयासों के बावजूद, ज़्यादातर यात्रियों के लिए ऑनलाइन तत्काल टिकट हासिल करने का अनुभव निराशाजनक बना हुआ है।
Tatkal Ticket: भारतीय रेलवे की ‘तत्काल टिकट’ सेवा, जो कभी आकस्मिक यात्रा करने वालों के लिए राहत की तरह मानी जाती थी, अब आम यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। हाल ही में देशभर के 396 जिलों के 55,000 से अधिक यात्रियों पर आधारित एक सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। 'लोकलसर्कल्स' के सर्वे के अनुसार, 73 फीसदी यात्रियों ने बताया कि तत्काल टिकट बुकिंग विंडो खुलते ही एक मिनट के भीतर उन्हें वेटिंग लिस्ट में डाल दिया गया। इससे यात्रियों में यह संदेह और भी गहरा हुआ है कि क्या टिकटें पहले से ही बुक कर ली जाती हैं? आईआरसीटीसी की वेबसाइट और मोबाइल ऐप के जरिए टिकट बुक करने की कोशिश कर रहे यात्रियों ने बड़ी संख्या में तकनीकी समस्याओं की शिकायत की।
यह सर्वे अप्रैल और मई 2025 के बीच किया गया है। इसमें पाया गया कि सिस्टम को सुव्यवस्थित करने के प्रयासों के बावजूद, ज़्यादातर यात्रियों के लिए ऑनलाइन तत्काल टिकट हासिल करने का अनुभव निराशाजनक बना हुआ है। लोकलसर्कल्स ने कहा कि वह यह रिपोर्ट सीधे रेल मंत्रालय को सौंपेगा ताकि तत्काल टिकट प्रणाली में व्याप्त तकनीकी और व्यवस्थागत खामियों को दूर किया जा सके।
-29 प्रतिशत ने बताया कि उन्हें सिर्फ 0-25 प्रतिशत ही सफलता मिली,
-29 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें कभी सफलता नहीं मिली।
-10 प्रतिशत ही हर बार टिकट पाने में कामयाब रहे।
(जवाब देने वाले 18,851 प्रतिभागियों के आधार पर))
रेलवे ने 2016 में तत्काल टिकट घोटाले का पर्दाफाश किया था, जिसमें पाया गया था कि कुछ ट्रैवल एजेंट फर्जी नामों से टिकट बुक कर उन्हें बाद में ‘नेम चेंज ऑप्शन’ के जरिए वास्तविक यात्रियों को ट्रांसफर कर रहे थे। इसके लिए वे रेलवे कर्मचारियों की मिलीभगत से काम करते थे। इसके बाद रेलवे ने कई सुधारात्मक उपाय किए थे। इसके तहत कैप्चा सुरक्षा, ओटीपी आधारिक लॉगिन और एक समय में केवल एक बुकिंग की सीमा तय करना। हालांकि, लोकलसर्कल्स का यह ताजा सर्वे बताता है कि इन उपायों के बावजूद सिस्टम में खामियां अब भी बनी हुई हैं और एजेंटों की पकड़ खत्म नहीं हो सकी है।
1- बुकिंग शुरू होते ही वेबसाइट या ऐप क्रैश हो जाता है।
2- पेज लोड होने में समय लगता है और टिकट तब तक 'फुल' हो जाती हैं।
3- कई बार पेमेंट कटने के बावजूद टिकट कन्फर्म नहीं होता, और न ही तुरंत रिफंड मिलता है।
4- बुकिंग प्रोसेस के बीच में सीटें अचानक 'अनअवेलेबल' दिखने लगती हैं।
सर्वे के अनुसार, अब केवल 40 फीसदी यात्री ही आइआरसीटीसी के जरिए टिकट बुकिंग में भरोसा रखते हैं। बाकी या तो ट्रैवल एजेंटों का सहारा लेते हैं या फिर रेलवे स्टेशन जाकर लंबी कतारों में लगते हैं।
एक बड़ा तबका यह भी मानता है कि अधिकृत एजेंट और कुछ तकनीकी विशेषज्ञ सॉफ्टवेयर बॉट या विशेष टूल की मदद से बुकिंग खुलते ही तत्काल टिकट ‘हाई स्पीड’ में बुक कर लेते हैं।
भारतीय रेलवे का ऑनलाइन टिकट सिस्टम पूरी तरह पारदर्शी है। अप्रेल और मई महीने रेलवे के पीक सीजन के होते हैं। गर्मी की छुट्टियों के चलते ट्रेनें फुल चल रही है। इस दौरान करीब 14 हजार स्पेशल ट्रेनें भी चला रखी है, जो फुल चल रही है। तत्काल टिकट सिस्टम में प्रत्येक 10 सीटों पर करीब एक हजार से ज्यादा लोग ऑनलाइन कतार में रहते हैं। रेलवे की ओर से प्रत्येक यात्री को समान अवसर दिया जाता है। बुकिंग एजेंट की भूमिका न्यूनतम कर दी गई है।
—दिलीप कुमार, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, रेलवे बोर्ड (सूचना व प्रचार)
सोमवार को परिवार के साथ मुंबई जाना था। जयपुर-मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस में थर्ड एसी कोच की सामान्य बुकिंग में लंबी वेटिंग थी, इसलिए तत्काल कोटे से टिकट बुक करने की कोशिश की। बुकिंग का समय सुबह 10 बजे था, 9:58 पर आइआरसीटीसी का ऐप खोल लिया। जैसे ही 10 बजे ‘बुक नाउ’ पर क्लिक किया तो पेज लोड होने में कुछ सेकंड लगे और इतने में सारी सीटें भर गईं। हमने चार टिकटों के लिए प्रयास किया था, लेकिन केवल एक ही सीट कंफर्म हो पाई, बाकी तीन वेटिंग में रह गईं। इतनी तेजी से बुकिंग का भर जाना बेहद आश्चर्यजनक और निराशाजनक था।
—राजेंद्र खंडेलवाल, यात्री, जयपुर