कर्मचारी ने सोशल मीडिया फोरम रेडिट पर अपना अनुभव साझा करते हुए लिखा कि सुबह 9 बजे वह रोज की तरह लॉगिन हुआ था। 11 बजे सीओओ की ओर से अनिवार्य वर्चुअल मीटिंग का निमंत्रण आया। मीटिंग शुरू होते ही सभी कैमरे और माइक बंद कर दिए गए और अचानक घोषणा हुई, 'भारतीय वर्कफोर्स को हटाया जा रहा है।'
जहां अमरीका में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने नए एच-1बी वीजा आवेदनों पर 1,00,000 डॉलर (करीब 88.74 लाख रुपए) का भारी शुल्क लगा दिया है, वहीं अमरीकी कंपनियों के लिए दूरस्थ रूप से काम कर रहे भारतीयों पर भी इसका असर दिखने लगा है। हाल में अमरीका की एक टेक कंपनी ने भारत से काम कर रहे कई कर्मचारियों को सिर्फ चार मिनट की जूम कॉल में निकाल दिया।
एक कर्मचारी ने सोशल मीडिया फोरम रेडिट पर अपना अनुभव साझा करते हुए लिखा कि सुबह 9 बजे वह रोज की तरह लॉगिन हुआ था। 11 बजे सीओओ की ओर से अनिवार्य वर्चुअल मीटिंग का निमंत्रण आया। मीटिंग शुरू होते ही सभी कैमरे और माइक बंद कर दिए गए और अचानक घोषणा हुई, 'भारतीय वर्कफोर्स को हटाया जा रहा है।' सीओओ ने साफ कर दिया कि यह छंटनी प्रदर्शन से जुड़ी हुई नहीं है, बल्कि आंतरिक पुनर्गठन का हिस्सा है। प्रभावित कर्मचारियों को तुरंत ईमेल से सूचना दी गई कि 1 अक्टूबर उनका अंतिम कार्य दिवस होगा।
छंटनी की खबर सामने आते ही सोशल मीडिया पर वीजा धारकों की चिंता और बढ़ गई। जिन कर्मचारियों का एच-1बी या वर्क वीजा स्टेटस है, उनके लिए अब स्थिति और मुश्किल हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल अमरीका में आप्रवासियों के लिए हालात पिछले कई दशकों के सबसे चुनौतीपूर्ण हैं। नीतिगत बदलाव, टेक सेक्टर की छंटनी, हेल्थकेयर की कठिनाइयां और आप्रवासी-विरोधी माहौल ने अनिश्चितता को और गहरा कर दिया है।
दिसंबर 2021 में बैटर.कॉम के सीईओ विशाल गर्ग ने अचानक एक जूम कॉल में 900 से अधिक कर्मचारियों को हटा दिया था। तब भी आलोचना इसी बात की हुई थी कि कंपनी ने संवेदनाओं की अनदेखी करते हुए एक साथ सैकड़ों लोगों की नौकरी छीन ली थी।