सुप्रीम कोर्ट ने बिहार एसआईआर मामले में चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि 11 दस्तावेज या मतदाता का आधार कार्ड स्वीकार करना होगा। कोर्ट ने कहा कि पूरी प्रक्रिया मतदाता अनुकूल होनी चाहिए, जिससे मतदाताओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो और उनका मतदान अधिकार सुरक्षित रहे।
बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मामले पर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को अहम निर्देश दिए।
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि 11 दस्तावेज तो ठीक है, लेकिन वेरीफिकेशन में आधार कार्ड को भी स्वीकार करना होगा। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि पूरी प्रक्रिया मतदाता अनुकूल होनी चाहिए।
बता दें कि 18 अगस्त को चुनाव आयोग ने 65 लाख लोगों के नाम जारी किए थे, जिन्हें एसआईआर प्रक्रिया के तहत प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची से हटा दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा कि हम बिहार एसआईआर के लिए आधार कार्ड या किसी अन्य स्वीकार्य दस्तावेज के साथ हटाए गए मतदाताओं के दावों को ऑनलाइन प्रस्तुत करने की अनुमति देंगे। वह चाहें तो ऑनलाइन या कार्यालय में खुद जाकर अपना नाम फिर से दर्ज करा सकते हैं।
कोर्ट ने इसके साथ चुनाव आयोग को अपने बूथ स्तरीय एजेंट को खास निर्देश जारी करने का आदेश दिया। ताकि वे मतदाताओं को आवश्यक फॉर्म जमा करने में सहायता कर सकें।
इसके साथ, सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में एसआईआर अभियान के तहत हटाए गए मतदाताओं के नामों में सुधार के लिए आगे न आने वाले राजनीतिक दलों की गतिविधि पर भी आश्चर्य व्यक्त किया।
उधर, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी जानकारी दी कि बिहार एसआईआर अभियान में 85,000 नए मतदाता सामने आए हैं और राजनीतिक दलों के बूथ-स्तरीय एजेंटों ने केवल दो आपत्तियां दर्ज की हैं।
बता दें कि विपक्ष का कहना है कि एसआईआर प्रक्रिया अनुचित है, क्योंकि मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए आवश्यक 11 दस्तावेजों में आधार शामिल नहीं है, जो अन्य दस्तावेजों की तुलना में आम तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला दस्तावेज है। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने आज साफ कर दिया कि आधार कार्ड भी वेरीफिकेशन के लिए मान्य होगा।