बिहार में एनडीए की वापसी हो गई है, लेकिन नीतीश कुमार का दसवीं बार सीएम बनना तब तक पक्का नहीं माना जा सकता जब तक इसकी घोषणा न हो जाए। पांच कारणों से इसे लेकर संदेह उठ रहा है।
Bihar Elections Result बिहार में फिर से एनडीए सरकार ही आर रही है, यह तय हो गया है। लेकिन, अभी निश्चित रूप से यह नहीं कहा जा सकता है कि सीएम नीतीश कुमार ही रहेंगे। नीतीश के दसवीं बार सीएम रहने को लेकर असमंजस के कई कारण भी हैं। इन कारणों को एक-एक कर समझते हैं।
इस चुनाव में बीजेपी पहली बार बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनी है। एनडीए में देखा जाए तो पिछली बार भी जनता ने ‘बड़ा भाई’ बीजेपी को ही बनाया था। पर इस बार मामला थोड़ा अलग है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम कुछ इस तरह हैं:
एनडीए: 202 [बीजेपी: 89, जेडीयू 85, एलजेपी (रमविलास): 19, हम (एस): 5, आरएलएम: 4]
महागठबंधन: 35 [आरजेडी, 25, कांग्रेस: 6, बाकी 4]
ऐसे नतीजे के बाद एनडीए में जदयू की स्थिति सौदेबाजी के मामले में मजबूत नहीं रहेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि जदयू को छोडकर भी बीजेपी और गठबंधन के बाकी साथियों की सदस्य संख्या बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े (122) से महज पांच कम रहेगी।
पिछली बार ऐसा नहीं था। 2020 विधानसभा चुनाव के नतीजे इस प्रकार थे- बीजेपी: 74, जदयू: 43, हम: 4, वीआईपी: 4।
नीतीश के सीएम बने रहने पर असमंजस की वजह भाजपा नेताओं के हालिया बयानों में भी दिखती है। बिहार के डिप्टी सीएम ने चुनाव के बीच में कहा कि सीएम नीतीश ही होंगे।
इसी दौरान अमित शाह ने कहा कि हम नीतीश कुमार की अगुआई में चुनाव लड़ रहे हैं। नतीजे आने पर एनडीए के विधायक बैठेंगे और नए सीएम का चयन करेंगे। उन्होंने सम्राट चौधरी की तरह साफ नहीं कहा कि नीतीश ही सीएम होंगे।
भाजपा के कार्यकर्ता और नेता अपने सीएम के लिए लंबे समय से इंतजार करते आ रहे हैं। इस बार उनके पास अब तक का सबसे अच्छा मौका है। यह मौका चूकने पर इंतजार पांच साल और लंबा हो जाएगा।
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा के बावजूद ज्यादा सीटें मिलने पर भाजपा अपना सीएम बनाने पर अड़ गई थी। अंततः उसने अपना सीएम ही बनाया। बिहार में ऐसी स्थिति नहीं बन सकती है, इसको लेकर भाजपा की ओर से कोई ठोस संकेत नहीं मिले हैं।
इस बार का चुनाव परिणाम ऐसा आया है कि अगर भाजपा नीतीश को सीएम नहीं बनाने पर अड़ जाए तो उनके पास कोई चारा भी नहीं बचेगा, क्योंकि अब कोई दूसरा खेमा नहीं है जहां वह पाला बदल कर जा सकते हैं।
असमंजस की एक वजह खुद नीतीश भी हैं। हाल के समय में सार्वजनिक रूप से उनकी कई ऐसी गतिविधियां सामने आईं, जिनसे उनकी सेहत खराब होने के चर्चा को बल मिला। हालांकि चुनाव नतीजों से उन्होंने अपने आलोचकों को शांत किया है, लेकिन बीजेपी इसे किस रूप में लेती है, यह साफ नहीं है।