BJP Congress Poster War: भारतीय राजनीति में पहले सोशल मीडिया पर बयानों और मीम्स के बाद अब रोचक पोस्टर वॉर लोगों में चर्चा का विषय बन गया है।
BJP-Congress Poster War: जम्मू कश्मीर में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर ( Operation Sindoor) कर पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकाने ध्वस्त कर दिए थे। अब इस ऑपरेशन पर भाजपा और कांग्रेस ( Congress) ) के बीच पोस्टर वॉर (BJP-Congress Poster War) शुरू हो गया है। इस मुद्दे ने अब एक नए स्वरूप में, चटपटे पोस्टर युद्ध का रूप ले लिया है, जिसमें नेताओं के चेहरों को मिक्स कर राजनीतिक कटाक्ष किए जा रहे हैं। जहां एक ओर भाजपा (BJP) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी( Rahul Gandhi) का आधा चेहरा आसिम मुनीर ( Asim Munir) के आधे चेहरे के साथ मिक्स किया है, वहीं पटलवार में कांग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी ( PM Modi) का आधा चेहरा नवाज शरीफ ( Modi Nawaz Sharif Poster) के आधे चेहरे के साथ मिक्स कर कहा- एक बिरयानी देश पर भारी। ये दोनों मिक्स किए गए फोटो इन दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को न केवल चुभ रहे हैं, बल्कि खल भी रहे हैं। वहीं देखने वालों के लिए ये दोनों कार्टून चटपटी चर्चा और कौतूहल का विषय बन गए हैं।
भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल गांधी का एक पोस्टर जारी किया, जिसमें उनका चेहरा पाकिस्तान आर्मी चीफ आसिम मुनीर के साथ जोड़ा गया। आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी 'पाकिस्तान की भाषा' बोलते हैं और उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर प्रधानमंत्री को बधाई नहीं दी। एक अन्य पोस्टर में राहुल को पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ की पीठ पर दिखाया गया।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने जवाब में एक पोस्टर जारी किया, जिसमें जयशंकर को जयचंद कहा गया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने एयरस्ट्राइक से पहले पाकिस्तान को सूचित किया था, जिससे कई आतंकी बच निकले। खेड़ा ने कहा, “यह चूक नहीं, अपराध था। देश को सच्चाई जानने का हक है।”
राहुल गांधी ने जयशंकर पर दो बार सवाल उठाए कि पाकिस्तान को जानकारी देने से भारत को क्या नुकसान हुआ। उन्होंने विदेश मंत्री की चुप्पी को "निंदनीय" बताया।
14 मई को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी इस मुद्दे पर चिंता जताई गई। पार्टी ने पहलगाम हमले को खुफिया विफलता बताया और कार्रवाई के अचानक रोक दिए जाने पर सवाल उठाए।
भाजपा ने राहुल को मीर जाफर बताया -वही ऐतिहासिक पात्र जिसने 1757 में ब्रिटिशों से मिलकर विश्वासघात किया था। वहीं कांग्रेस ने जयशंकर को जयचंद कहा, जिसे मध्यकालीन इतिहास में गद्दारी का प्रतीक माना जाता है।
बहरहाल ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता और उसके राजनीतिक प्रभावों को लेकर शुरू हुई बहस अब एक तीखी और तल्ख पोस्टर वॉर में बदल गई है। दोनों ही पार्टियों ने एक-दूसरे के नेताओं की छवियों और ऐतिहासिक उपमाओं का इस्तेमाल कर जनता के बीच अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की है। जहां एक ओर भाजपा विपक्ष पर देश की सेना और सरकार का मनोबल गिराने का आरोप लगा रही है, वहीं कांग्रेस सरकार पर पारदर्शिता की कमी और राजनीतिकरण का इल्जाम लगा रही है। इस पूरे घटनाक्रम ने न सिर्फ राजनीतिक विमर्श को धार दी है, बल्कि यह भी दिखाया है कि आने वाले समय में चुनावी रणनीतियों में प्रतीकों और छवियों का इस्तेमाल किस हद तक किया जा सकता है।