कैग की रिपोर्ट से पता चला है कि पंजाब सबसे अधिक कर्जदार राज्य है, जबकि पूर्वी तटीय राज्य ओडिशा पर कर्ज सबसे कम है। GSDP में कर्ज का हिस्सा 2013-14 में 16.66% था, जो 2022-23 तक लगभग 23% हो गया।
भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की कैग की रिपोर्ट के अनुसार भारत के कई राज्यों का कर्ज 10 साल में तीन गुना बढ़ गया है। सभी 28 राज्यों का कुल सार्वजनिक कर्ज 2013-14 में 17.57 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2022-23 में 59.60 लाख करोड़ रुपए हो गया। राज्यों के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के मुकाबले कर्ज का हिस्सा 2013-14 में 16.66% था, जो 2022-23 तक लगभग 23% हो गया। यह रिपोर्ट कैग के अध्यक्ष के. संजय मूर्ति ने राज्य वित्त सचिव सम्मेलन में जारी की।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च 2023 तक, आठ राज्यों की सार्वजनिक ऋण देनदारी उनके जीएसडीपी के 30% से अधिक थी। इसमें सबसे आगे पंजाब है। फिर नागालैंड और पश्चिम बंगाल का नंबर है। छह राज्यों की सार्वजनिक ऋण देनदारी उनके जीएसडीपी के 20% से कम थी और शेष 14 राज्यों की सार्वजनिक ऋण देनदारी वित्त वर्ष 2022-23 में उनके संबंधित जीएसडीपी के 20 से 30% के बीच थी।
पंजाब: 40.35%
नागालैंड: 37.15%
पश्चिम बंगाल: 33.70%
ओडिशा: 8.45%
महाराष्ट्र: 14.64%
गुजरात: 16.37%
नोट: सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के मुकाबले कर्ज का अनुपात प्रतिशत में
राज्यों के सार्वजनिक ऋण में राजकोषीय बिलों, बॉन्ड आदि के माध्यम से खुले बाजार से प्राप्त कर्ज, एसबीआइ और अन्य बैंकों से प्राप्त ऋण, आरबीआइ, एलआइसी और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) जैसे वित्तीय संस्थानों से प्राप्त कर्ज शामिल हैं।
यह दिखाता है कि सरकार अपने खर्च को कैसे पूरा कर रही है। पिछले दशक में राज्यों का कर्ज उनकी राजस्व प्राप्तियों का 128% से 191% तक रहा। औसतन यह लगभग 150% रहा। वित्त वर्ष 2021 में कर्ज में तेज बढ़ोतरी हुई, जब यह जीएसडीपी GSDP का 21% से बढ़कर 25% हो गया। इसका मुख्य कारण कोरोना महामारी थी, जिसने आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित किया और राज्यों ने अधिक कर्ज लिया।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कई राज्य 'गोल्डन रूल' का उल्लंघन कर रहे हैं। गोल्डन रूल कहता है कि कर्ज केवल निवेश के लिए लेना चाहिए, रोजमर्रा के खर्च के लिए नहीं। वित्त वर्ष 2023 में आंध्र प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, केरल, बिहार, तमिलनाडु जैसे 11 राज्यों ने अपने कर्ज का हिस्सा राजस्व घाटे को पूरा करने में इस्तेमाल किया, न कि निवेश में।