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AC कोच सबसे गंदे, 15 हजार से ज्यादा शिकायतें सिर्फ कीड़े मकौड़ों की-कैग रिपोर्ट में सामने आया रेलवे का सच

प्रीमियम ट्रेनें और AC कोच के लिए यात्री सबसे ज्यादा किराया चुकाते हैं, वही सबसे गंदे साबित हो रहे हैं।

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भारत

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Ashish Deep

Aug 26, 2025

Train

ट्रेन यात्रियों के अनुभव पर कैग ने रिपोर्ट जारी की है। (फोटो सोर्स : पत्रिका)

Indian Railways के सुरक्षित, साफ-सुथरे और आरामदायक सफर के दावे की कलई उस समय खुल गई जब देश के CAG ने भारतीय रेल की परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट जारी की। कैग की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है कि प्रीमियम ट्रेनें और AC कोच, जिनके लिए यात्री सबसे ज्यादा किराया चुकाते हैं, वही सबसे गंदे साबित हो रहे हैं।

79% शिकायतें AC कोच यात्रियों कीं

रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022-23 में रेलवे के Rail Madad प्लेटफॉर्म पर 15,028 शिकायतें सिर्फ चूहे और तिलचट्टों को लेकर दर्ज हुईं। चौकाने वाली बात यह है कि इनमें से 79% शिकायतें AC कोच यात्रियों की थीं। यानी सफर आरामदेह नहीं, बल्कि कीड़े-मकौड़ों के बीच कट रहा है।

2.42 लाख शिकायतें सफाई से जुड़ीं

सिर्फ इतना ही नहीं, एक साल में 2.42 लाख शिकायतें सफाई से जुड़ीं, 1 लाख से ज्यादा पानी की कमी को लेकर और 26 हजार से ऊपर गंदे लिनेन पर दर्ज हुईं। साफ है कि रेलवे के दावे और यात्रियों का अनुभव बिल्कुल मेल नहीं खाते।

किस जोन में सबसे ज्यादा शिकायतें?

1; साउथ सेंट्रल रेलवे – 13%
2; वेस्टर्न और सदर्न रेलवे – 11%
3; नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे – 10%
4; सबसे कम शिकायतें एनसीआर और एसईसीआर से आईं।

सफाई और पानी की कमी सबसे बड़ी समस्या

2.42 लाख शिकायतें सफाई को लेकर दर्ज हुईं। यह 2019-20 के मुकाबले 69% ज्यादा हैं। वहीं एक साल में 1 लाख से ज्यादा यात्रियों ने पानी की अनुपलब्धता की शिकायत की। AC कोचों में लिनेन सेवा की हालत भी खराब पाई गई, जहां 26,144 यात्रियों ने गंदे या फटे चादर-कंबलों पर आपत्ति जताई। ईसीआर, एनईआर, एनडब्ल्यूआर और डब्ल्यूआर जोन सबसे ज्यादा निशाने पर रहे।

कैग की टीम की ऑन-ग्राउंड जांच

कैग ने जब 15 ट्रेनों में सफर कर हकीकत जांची, तो हालात और भी चिंताजनक निकले। कई कोचों के टॉयलेट और वॉशबेसिन चोक मिले। हर चौथा यात्री बोला कि उसने कोच में चूहे और तिलचट्टे देखे।

रेलवे का फीडबैक सिस्टम भी फेल

रिपोर्ट ने रेलवे के फीडबैक मैकेनिज्म पर भी सवाल उठाए। यात्रियों ने बताया कि शिकायत दर्ज होने के बाद कई बार PNR या मोबाइल नंबर गलत दर्ज हो जाते हैं, फीडबैक कॉलम अधूरे रहते हैं और शिकायतें अधर में लटकी रह जाती हैं। इस रिपोर्ट से साफ है कि रेलवे के दावे और यात्रियों का अनुभव बिल्कुल मेल नहीं खा रहे।