Cash Row: 14 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास के स्टोर रूम में आग लगने की घटना ने भारतीय न्यायपालिका में हलचल मचा दी।
justice verma cash row: जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद के आगामी मानसून सत्र में केंद्र सरकार महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। यह कदम उनके दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास पर भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद उठाया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि वे इस प्रस्ताव के लिए सभी दलों से बात करेंगे ताकि द्विदलीय समर्थन प्राप्त किया जा सके।
बता दें कि 14 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास के स्टोर रूम में आग लगने की घटना ने भारतीय न्यायपालिका में हलचल मचा दी। आग बुझाने के दौरान फायर ब्रिगेड कर्मियों को वहां भारी मात्रा में जली और अधजली नकदी बरामद हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 22 मार्च को तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थीं। समिति ने अपनी जांच में पाया कि स्टोर रूम, जहां नकदी मिली, जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के नियंत्रण में था। हालांकि, जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए दावा किया कि नकदी से उनका कोई संबंध नहीं है और यह उनके खिलाफ साजिश का हिस्सा है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा को इस्तीफा देने की सलाह दी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट से उनके मूल कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट, स्थानांतरित करने की सिफारिश की, जिसे सरकार ने मंजूरी दे दी। इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने इस तबादले का विरोध किया, मांग की कि मामले की सीबीआई और ईडी से जांच हो।
जांच समिति की रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया, और इसे राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को भेजा गया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने आरटीआई के तहत रिपोर्ट सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया।