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गलवान घाटी में जब चीन से हुआ विवाद तो उखड़ गए थे CDS बिपिन रावत, अपने सैनिकों से जो कहा, आज भी होती है उस बात की चर्चा

8 दिसंबर 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर में वायुसेना का Mi-17V5 हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। इसमें भारत के पहले CDS जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य सैन्यकर्मी शहीद हो गए।

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Dec 08, 2025
CDS बिपिन रावत। (फोटो- IANS)

भारतीय वायुसेना का एक हेलिकॉप्टर साल 2021 में आज ही के दिन 8 दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर में क्रैश हो गया था। इसमें तत्कालीन सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत सवार थे। इस हादसे में बिपिन और उनकी पत्नी के अलावा 11 अन्य सैन्यकर्मी शहीद हो गए।

हेलिकॉप्टर क्रैश के बाद केवल ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ही कुछ दिन जिंदा रहे, लेकिन बाद में वे भी शहीद हो गए। जब भी बिपिन रावत की बात होती है, उनके कई साहसिक कारनामें तुरंत उभरकर सामने आ जाते हैं।

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इन कामों में रहा बिपिन रावत का मुख्य योगदान

उरी हमले के बाद 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। तब थलसेना प्रमुख के रूप में बिपिन ने ही स्ट्राइक की पूरी योजना बनाई थी। साथ ही उनकी निगरानी में सेना ने हमला बोला था।

साल 2020 में बिपिन रावत को सीडीएस बनाया गया था। इस पद पर बैठते ही उन्होंने तीनों सेनाओं को एकीकृत करने के लिए थिएटर कमांड्स की रूपरेखा तैयार की।

उन्होंने सेना में स्वदेशी हथियारों और उपकरणों पर जोर दिया। बिपिन ने 100से अधिक आयातित हथियारों की नेगेटिव लिस्ट जारी की।

चीन के खिलाफ सख्त रुख

साल 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीनी के बीच संघर्ष हुआ था। इसमें भारत के कई जवान शहीद हो गए थे। इस मामले को लेकर सीडीएस बिपिन रावत उखड़ गए थे। वह गलवान घाटी में झड़प के तुरंत बाद लेह पहुंच गए।

अपने सैनिकों से मिलकर उनका मनोबल बढ़ाया। इसके साथ, उन्होंने सैनिकों से स्पष्ट कहा कि भारतीय सेना किसी भी आक्रमण का अब मुंहतोड़ जवाब देगी। गलवान के बाद उन्होंने 'कंट्रोल्ड अग्रेशन' और 'बी प्रिपेयर फॉर शॉर्ट एंड इंटेंस वार' की नीति पर जोर दिया।

चीन को बिपिन ने दिया था स्पष्ट संदेश

इसके तहत पूर्वी लद्दाख में टैंक, तोपखाने, मिसाइल यूनिट्स और एयर डिफेंस की भारी तैनाती की गई। बिपिन ने चीन को संदेश दिया कि भारत अब सिर्फ डिफेंसिव नहीं रहेगा बल्कि 'ऑफेंसिव डिफेंस' की रणनीति अपनाएगा।

अगस्त 2020 में भारतीय सेना ने सीडीएस बिपिन के नेतृत्व में 'ऑपरेशन स्नो लेपर्ड' के तहत कैलाश रेंज (पैंगोंग के दक्षिणी किनारे) पर पहले कब्जा कर लिया। यह 1962 के बाद पहली बार था जब भारत ने LAC पार करके ऊंचाई पर कब्जा किया था।

Published on:
08 Dec 2025 09:26 am
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