CJI के फैसले पर पूर्व जस्टिस ओका ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि सीजेआई गवई का आवारा कुत्तों (stray dogs) के मामले में लिया गया फैसला गलत संदेश देता है।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पूर्व जस्टिस अभय एस ओका (Former Justice Abhay S Oka) ने कहा कि आवारा कुत्तों (stray dogs) का मामला दूसरी पीठ में भेजना गलत संदेश था। बड़े पैमाने पर जन विरोध के बाद आवारा कुत्तों का मामला जस्टिस जेबी पादरीवाला की पीठ से नहीं हटाया जाना चाहिए था। ओका ने कहा कि कोई भी मुख्य न्यायाधीश किसी भी पीठ को पत्र लिखकर आदेश को संशोधित करने के लिए नहीं कह सकते हैं।
दरअसल, जस्टिस पादरीवाला ने आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में रखने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का पशु प्रेमियों ने जमकर विरोध किया। इसके बाद को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने इस मामले को स्पेशल बेंच ट्रांसफर कर दिया। स्पेशल बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए फैसला बदल दिया।
वहीं, एक अन्य मामले में CJI गवई ने जस्टिस पादरीवाला को पत्र लिखकर उनसे 4 अगस्त के उस निर्देश को भी संसोधित करने को कहा था। जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जस्टिस को किसी भी आपराधिक मामले की सुनवाई करने से रोक दिया गया था।
जस्टिस ओका ने कहा, "पीठें मामलों को पुनः सूचीबद्ध करके और पक्षों की नए सिरे से सुनवाई करके अपने आदेशों को वापस ले सकती हैं या संशोधित कर सकती हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि मुख्य न्यायाधीश किसी भी पीठ को पत्र लिखकर आदेश को संशोधित करने के लिए नहीं कह सकते हैं।"
पूर्व जस्टिस ओका ने कहा कि अगर CJI को आवारा कुत्तों के मामले को एक बड़ी पीठ को सौंपना ही था, तो पुरानी पीठ को विस्तारित करना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि मूल न्यायाधीश को हटाना सिद्धांततः सही नहीं था।