CJI सूर्यकांत ने कहा, कोर्ट में इमरजेंसी सर्विस शुरू होगी, जैसे अस्पताल में होती है। अब लिखित मेंशनिंग स्लिप ही चलेगी, मौखिक मेंशनिंग तभी सुनी जाएगी जब मामला बहुत जरूरी होगा, जैसे जान या स्वतंत्रता खतरे में हो।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने कहा है कि कोर्ट में अस्पतालों की तरह इमरजेंसी सर्विस शुरू की जाएगी, जिससे लोगों को तुरंत न्याय मिल सके।
उन्होंने कहा है कि अब कोर्ट में केस लाने के लिए लिखित मेंशनिंग स्लिप ही चलेगी। मौखिक (वोले) मेंशनिंग तभी सुनी जाएगी जब मामला बहुत जरूरी होगा, जैसे कि किसी की जान खतरे में हो या किसी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता खतरे में हो।
सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि कानून एक लंबी और सोच-समझकर तय की जाने वाली यात्रा है, न कि कोई तेज दौड़। उन्होंने युवा वकीलों को सलाह दी कि कानून को सफलता का शॉर्टकट न मानें, बल्कि इसे एक कला समझें जिसे सावधानी से सीखना और ईमानदारी से अभ्यास करना होता है।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने चीफ जस्टिस सूर्यकांत के हवाले से कहा कि अगर किसी नागरिक को कानूनी इमरजेंसी का सामना करना पड़ता है या जांच एजेंसियां उसे अजीब समय पर गिरफ्तार करने की धमकी देती हैं, तो वह आधी रात को भी कोर्ट से मदद मांग सकता है। कोर्ट उसकी मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए सुनवाई करेगा।
सीजेआई सूर्यकांत ने टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बात करते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट को जनता की अदालतें बनाया जाए, जहां कानूनी इमरजेंसी के दौरान काम के घंटों के बाद भी किसी भी समय संपर्क किया जा सके।
चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि उनकी एक बड़ी कोशिश है कि अदालतों में ज्यादा से ज्यादा संवैधानिक बेंचें बनाई जाएं, ताकि लंबित पड़े महत्वपूर्ण मामलों का निपटारा किया जा सके।
जस्टिस सूर्यकांत ने 24 नवंबर 2025 को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद संभाला। पद संभालने के बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए। जिनमें उत्तराखंड हाई कोर्ट के ऑर्डर को रद्द करने का फैसला भी शामिल है।
दरअसल, उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक तलाक की अर्जी को मंजूरी दी थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। इस पर नए चीफ जस्टिस ने अहम फैसला सुनाया।
चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच ने तलाक की अर्जी को मंजूरी देने वाले हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया गया। साथ ही, हाई कोर्ट की बेंच को मामले पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिया।