कांग्रेस को इस बार भी लड़ने के लिए लगभग वही पुरानी सीटें मिली हैं। जिन पर साल 2020 में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। नई सीटों में बिहारशरीफ, बनमनखी (SC रिजर्व) और कुम्हरार की सीट मिली हैं। जहां महागठबंधन कमजोर मानी जा रही है। कांग्रेस ने चुनाव से पहले तैयारी बड़े जोर शोर से शुरू की थी। पढ़ें पूरी खबर...
Bihar elections: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस (Congress) के हाथ इस बार कुछ खास नहीं लगा। पार्टी ने पूरे दम से चुनावी बिगुल फूंका। पार्टी के नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की यात्रा भी हुई। बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारू ने प्रदेश में उम्मीदवारों के चयन के लिए तीन महीने सर्वे भी चलाया। फिर प्रत्याशियों की लिस्ट भी बनाई। इन सब के बावजूद कांग्रेस पार्टी सहयोगियों से एक भी मजबूत सीट तो नहीं ही ले पाई। साथ ही गठबंधन धर्म निभाने के कारण दो सीटिंग सीटें भी छोड़नी पड़ी।
साल 2025 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी 61 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि साल 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को महागठबंधन में 70 सीटें मिली थी। कांग्रेस ने जिन सीटों को छोड़ा है, उनमें महाराजगंज और जमालपुर की सीटिंग सीटें भी शामिल हैं। यहां से कांग्रेस विधायकों को बेटिकट होना पड़ा। इसके साथ ही, छोड़ी गई अन्य 12 सीटों पर भी पार्टी का प्रदर्शन पिछले चुनाव में बेहतर रहा था। पार्टी के खाते में इस बार बिहारशरीफ, बनमनखी (SC रिजर्व) और कुम्हरार की सीट आई है।
वाल्मीकि नगर , रामनगर (SC) , नरकटियागंज , बगहा, नौतन, चनपटिया, बेतिया, रक्सौल, गोविंदगंज, रिगा, बथनाहा (SC), बेनीपट्टी, फुलपरास, सुपौल, फारबिसगंज, बहादुरगंज, अमौर, कुरथा, बरबीघा, वारसलिगंज, हरनौत, कोढ़ा, सिकंदर।
अररिया, औरंगाबाद, भागलपुर, बिक्रम, बक्सर, हिसुआ, जमालपुर, कदवा, करगहर, कसबा, खगड़िया, किशनगंज, महाराजगंज, मनिहारी (ST), मुजफ्फरपुर, राजा पाकार (SC), राजपुर (SC), चेनारी, विक्रम
इसके साथ ही, महगठबंधन के घटक दलों के बीच 11 जगहों पर फ्रेंडली फाइट है। इनमें 10 सीटों पर कांग्रेस को महागठबंधन के सहयोगियों ने घेर रखा है। सबसे ज्यादा राजद-कांग्रेस में पांच और भाकपा-कांग्रेस में चार सीटों पर मुकाबला है। एक सीट पर IIP से मुकाबला है।
दरअसल, अगस्त महीने में राहुल गांधी की वोटर अधिकार रैली ने प्रदेश के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जगाया। इसके बाद कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं में उम्मीद जगी कि इस बार पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में लड़ने के लिए बेहतर सीटें मिलेंगी। पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने भी जोर-शोर से ऐलान किया कि पार्टी अपने कोटे में मजबूत सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस बार स्ट्राइक रेट में सुधार लाएगी, लेकिन सारे दावे बेनतीजा निकले।