Rahul Gandhi Surrender: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर आरोप है कि साल 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने सेना को लेकर एक बयान दिया था। इस बयान को मानहानि के दायरे में आने वाला और आपत्तिजनक बताया गया।
Defamation Case: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को मंगलवार को लखनऊ की एमपी-एमएलए विशेष अदालत में एक मानहानि मामले में सरेंडर किया। हालांकि पांच मिनट बाद ही कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को कोर्ट से राहत मिली। कोर्ट ने इस मामले में राहुल गांधी को जमानत दे दी। दरअसल, यह मामला 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सेना के बारे में दिए गए कथित बयान से जुड़ा हुआ है।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आलोक वर्मा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 20-20 हजार रुपये की दो जमानतें पेश करने पर जमानत दे दी। बता दें कि इससे पहले कोर्ट ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को पेश होने का आदेश दिया था। दरअसल, पिछली पांच सुनवाइयों के दौरान राहुल गांधी पेश नहीं हुए थे। गांधी के वकील प्रांशु अग्रवाल ने कांग्रेस नेता को व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट देने का अनुरोध किया था, लेकिन अदालत ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।
बता दें कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर आरोप है कि साल 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने सेना को लेकर एक बयान दिया था। इस बयान को मानहानि के दायरे में आने वाला और आपत्तिजनक बताया गया। कांग्रेस सांसद के इस बयान के खिलाफ परिवाद भी दाखिल किया गया। इसके बाद अदालत ने कांग्रेस सांसद को आरोपी के रूप में तलब किया था।
अधिवक्ता विवेक तिवारी ने जनवरी 2023 में सीमा सड़क संगठन के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव की ओर से राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के मुताबिक कांग्रेस सासद राहुल गांधी ने 16 दिसंबर 2022 को राजस्थान में भारत जोडो यात्रा के दौरान अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर हुई झड़प का जिक्र किया और कहा कि “लोग भारत जोड़ो यात्रा के बारे में तो पूछेंगे, लेकिन चीनी सैनिकों द्वारा हमारे सैनिकों की पिटाई के बारे में एक बार भी नहीं पूछेंगे।
हालांकि इससे पहले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, इस आदेश में कोर्ट ने उन्हें 11 फरवरी 2025 को तलब किया गया था। कांग्रेस नेता की इस याचिका को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने 2 जून 2025 को खारिज कर दिया था, जिन्होंने फैसला सुनाया था कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उचित प्रतिबंधों के अधीन है और इसमें ऐसे बयान देने की स्वतंत्रता शामिल नहीं है जो किसी व्यक्ति या भारतीय सेना के लिए अपमानजनक हों।