वाड्रा बोले- पिछले बीस सालों में मुझे 15 बार बुलाया गया है, हर बार 10 घंटे से ज्यादा पूछताछ हुई है। मैंने 23,000 दस्तावेज जमा किए हैं
नई दिल्ली के एक व्यस्त कार्यदिवस में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) के दफ्तर के बाहर तनाव और उत्सुकता का माहौल है। मंगलवार को छह घंटे की लंबी पूछताछ के बाद बुधवार को एक बार फिर कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा ED के सामने पेश हुए। उनके साथ उनकी पत्नी और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा भी थीं, जो दफ्तर के बाहर वेटिंग रूम में बेचैनी से इंतजार करती नजर आईं। यह दृश्य न केवल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया, बल्कि आम लोगों के बीच भी कौतूहल का केंद्र रहा।
ED की यह पूछताछ 2008 के हरियाणा भूमि सौदे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के कथित मामले को लेकर है। रॉबर्ट वाड्रा, जो प्रियंका गांधी के पति हैं, इस मामले में पहले भी कई बार जांच एजेंसी के सवालों का सामना कर चुके हैं। मंगलवार को पूछताछ के बाद वाड्रा ने इसे "राजनीतिक प्रतिशोध" करार दिया था। उन्होंने फेसबुक पर लिखा, "मैं किसी भी तरह के अन्यायपूर्ण दबाव के लिए तैयार हूं। मुझे सत्य पर भरोसा है, और सत्य की जीत होगी।"
56 वर्षीय वाड्रा ने ED दफ्तर में प्रवेश करने से पहले मीडिया से बातचीत में कहा, "जब भी मैं लोगों की आवाज उठाऊंगा, उन्हें सुनाने की कोशिश करूंगा, वे मुझे दबाने की कोशिश करेंगे।" उन्होंने दावा किया कि इस मामले में कोई दम नहीं है। "पिछले बीस सालों में मुझे 15 बार बुलाया गया है, हर बार 10 घंटे से ज्यादा पूछताछ हुई है। मैंने 23,000 दस्तावेज जमा किए हैं," वाड्रा ने जोड़ा।
उन्होंने यह भी कहा कि जब वे अल्पसंख्यकों के हक में या सरकार की नाकामियों के खिलाफ बोलते हैं, तो उन्हें रोका जाता है। "यह राजनीतिक साजिश है। लोग मुझे प्यार करते हैं और चाहते हैं कि मैं राजनीति में आऊं। जब मैं राजनीति में आने की इच्छा जताता हूं, तो पुराने मुद्दों को उछालकर मुझे नीचा दिखाने और असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश की जाती है," वाड्रा ने मंगलवार को कहा था।
ED के दफ्तर के बाहर प्रियंका गांधी का इंतजार करना इस पूरे घटनाक्रम को और भी नाटकीय बनाता है। उनकी मौजूदगी न केवल उनके पति के प्रति समर्थन का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि यह मामला कांग्रेस पार्टी के लिए कितना संवेदनशील है। जैसे-जैसे पूछताछ आगे बढ़ रही है, सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या ED को इस मामले में कोई ठोस सबूत मिलेगा, या यह मामला एक बार फिर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का हिस्सा बनकर रह जाएगा।
इस बीच, दिल्ली की सर्द हवाओं के बीच ED दफ्तर के बाहर मीडियाकर्मियों की भीड़ और सुरक्षा व्यवस्था इस बात का संकेत दे रही है कि यह मामला अभी लंबे समय तक सुर्खियों में बना रहेगा।