ईडी ने पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में फर्जी पासपोर्ट रैकेट से जुड़े मामले में छापेमारी कर कई दस्तावेज जब्त किए। यह कार्रवाई पाकिस्तानी नागरिक आजाद मलिक और उसके सहयोगियों से जुड़े नेटवर्क की जांच का हिस्सा है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में फर्जी पासपोर्ट मामले की जांच को तेज करते हुए सोमवार सुबह एक कारपेंटर के घर पर छापेमारी की। यह कार्रवाई चकदाह के परारी गांव में विप्लब सरकार के घर पर की गई, जो कथित तौर पर फर्जी पासपोर्ट बनाने में एजेंट की भूमिका निभाता था। ED की टीम को घर से पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज मिले हैं।
यह मामला पाकिस्तानी नागरिक आजाद मलिक से जुड़ा है, जिसे इस साल अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था। मलिक हवाला, फर्जी पासपोर्ट और विदेशी वीजा रैकेट चलाने का आरोपी है। ED सूत्रों के अनुसार, विप्लब सरकार का नाम पिछले महीने गिरफ्तार मध्यस्थ इंदु भूषण हालदार की पूछताछ में सामने आया। हालदार चकदाह में साइबर कैफे चलाता था, जहां से करीब 350 फर्जी पासपोर्ट आवेदन किए गए थे। वह विदेशियों को पैसे के बदले भारतीय पहचान पत्र दिलाने में मदद करता था।
यह छापेमारी परारी गांव के चकदाह में सुबह करीब 8 बजे की गई। टीम ने जांच के दौरान पासपोर्ट, मोबाइल फोन और दस्तावेज जब्त किए। विप्लब सरकार, उसके भाई बिपुल सरकार और परिवार के अन्य सदस्यों से पूछताछ जारी है।
आजाद मलिक की गिरफ्तारी अप्रैल 2025 में हुई, जब भारत-बांग्लादेश सीमा के पास उत्तर 24 परगना और नदिया जिलों में छापेमारी की गई। यह कार्रवाई अवैध घुसपैठ और फर्जी दस्तावेजों के रैकेट से जुड़ी थी। इंदु भूषण नामक व्यक्ति की गिरफ्तारी पिछले महीने हुई, जो मलिक का पासपोर्ट रिन्यू कराने में शामिल था। यह गिरफ्तारी जांच के दौरान सामने आई और रैकेट के नेटवर्क को उजागर करने में मददगार साबित हुई।
पुलिस की कार्रवाई पिछले साल के अंत में शुरू हुई जांच का हिस्सा थी, जिसमें 130 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। इनमें 120 अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए शामिल थे। आरोपी लोगों के लिए लुकआउट नोटिस भी जारी किए गए। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने इस केस को मनी लॉन्ड्रिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े होने के कारण अपने हाथ में लिया। जांच में पता चला कि यह रैकेट पश्चिम बंगाल से संचालित हो रहा था।
इस रैकेट के तहत अवैध घुसपैठिए भारतीय पासपोर्ट हासिल कर विदेश यात्रा करते थे। ईडी की जांच अभी जारी है और आगे कई गिरफ्तारियां होने की संभावना है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर केंद्र सरकार इस पूरे मामले पर कड़ी नजर रखे हुए है। यह केस सीमा सुरक्षा और फर्जी दस्तावेजों के दुरुपयोग को रोकने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।